सीकर की सदर थाना पुलिस ने हनीट्रैप गैंग के 7 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई बरकत अली की शिकायत के बाद की गई, जिसके आधार पर क्राइम इंटेलिजेंस के माध्यम से आरोपियों को पकड़ने की योजना बनाई गई।
पुलिस ने इस गैंग में शामिल दो महिलाओं और पांच पुरुषों को गिरफ्तार किया है, जो विभिन्न जिलों में इसी तरह की वारदातों में शामिल रहे हैं। ये आरोपी लोगों को अपने जाल में फंसाने और बाद में धन वसूलने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते थे।
गिरफ्तारी के बाद पुलिस अब इन आरोपियों से पूछताछ कर रही है, ताकि उनके अन्य साथी और वारदातों के बारे में जानकारी मिल सके। यह मामला हनीट्रैप से जुड़े आपराधिक नेटवर्क की गंभीरता को दर्शाता है और पुलिस ने इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता को महसूस किया है।
सीकर: राजस्थान के सीकर जिले की सदर थाना पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने हनीट्रैप गैंग के 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस कार्रवाई के दौरान, पुलिस ने आरोपियों के पास से वारदात के लिए उपयोग की गई गाड़ी भी बरामद की है।
जिला पुलिस अधीक्षक भुवन भूषण यादव ने इस पूरे मामले का खुलासा करते हुए बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपी पहले से ही विभिन्न जिलों में हनीट्रैप की वारदातों में शामिल रहे हैं।
पुलिस फिलहाल इन आरोपियों से गहन पूछताछ कर रही है, ताकि उनके अन्य साथियों और संभावित मामलों के बारे में जानकारी मिल सके। इस सफलता से पुलिस ने हनीट्रैप से जुड़े अपराधों के प्रति अपनी गंभीरता और तत्परता को दर्शाया है।
सड़क पर खड़ी दो लड़कियों ने मांगी लिफ्ट, फिर…
दरअसल, 1 सितंबर को मुंडवाड़ा के रहने वाले बरकत अली ने सदर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि 31 अगस्त को सांवली सर्किल पर उन्हें दो लड़कियाँ मिलीं, जिन्होंने लिफ्ट मांगी। सहानुभूति के चलते बरकत ने दोनों को अपनी गाड़ी में बैठा लिया।
बाद में, दोनों लड़कियों ने गाड़ी को किराए पर ले लिया और कुंडलपुर की तरफ जाने को कहा। जैसे ही गाड़ी आगे बढ़ी, अचानक दोनों लड़कियों के पांच पुरुषों और एक अन्य महिला साथी वहां पहुंच गए। यह सब सुनकर बरकत अली की आंखें खुल गईं कि वह एक बड़ी साजिश का शिकार होने वाले हैं।
गैंग के सदस्यों ने बरकत पर दबाव डालकर उसकी belongings छीनने का प्रयास किया। हालांकि, बरकत ने साहस दिखाया और मौके पर शोर मचाया, जिससे आसपास के लोगों ने मदद की।
इसके बाद, पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू की और हनीट्रैप गैंग के सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए योजना बनाई। यह घटना इस बात का उदाहरण है कि कैसे शरारती तत्व लोगों की सहानुभूति का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं।
मारपीट के बाद 10 लाख की डिमांड: 26,000 में हुई छूट
इन आरोपियों ने बरकत के साथ मारपीट की और फिर उसे दूसरी गाड़ी में डालकर कोछोर के रास्ते खंडेला में धर्मपूरा गांव की तरफ ले गए। इस दौरान, बदमाशों ने बरकत से गाड़ी के डॉक्यूमेंट और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज भी छीन लिए।
गैंग से जुड़े लोगों ने बरकत से 10 लाख रुपये की मांग की, जिससे वह डर गया। उनकी धमकियों के बीच, बरकत ने किसी तरह 26,000 रुपये जुटाए और अपनी जान बचाने के लिए उन्हें दे दिए। इसके बाद, बदमाशों ने उसे छोड़ दिया, लेकिन इस पूरी घटना ने उसे गहरे सदमे में डाल दिया। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है।
बदमाशों ने बरकत को पैसे नहीं देने पर रेप जैसे गंभीर केस में फंसाने और जान से मारने की धमकी दी। उनकी धमकियों के कारण डरकर बरकत ने 26,000 रुपये ट्रांसफर किए।
इसके बाद, बदमाशों ने बरकत की गाड़ी को खराब होने पर खंडेला के पास ही छोड़ दिया और वहां से भाग गए। इस घटना ने बरकत को गहरे सदमे में डाल दिया है, और उसने तुरंत पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए प्रयास कर रही है।
कांस्टेबल बाबूलाल को बनाया बोगस ग्राहक: एक चौंकाने वाली कहानी
पुलिस के पास इस केस में कोई ठोस क्लू नहीं था, जिससे वे सीधे आरोपियों तक पहुंच सकें। इस स्थिति में, पुलिस ने ह्यूमन इंटेलिजेंस का सहारा लिया और परिवादी के मोबाइल नंबरों के आधार पर एक आरोपी की पहचान की।
इसके बाद, पुलिस ने थाने के कांस्टेबल बाबूलाल को बोगस ग्राहक के रूप में इस्तेमाल किया। पहचान किए गए अपराधी की ओर से कांस्टेबल बाबूलाल के नंबर गैंग की महिला सदस्य के पास पहुंचाए गए, ताकि उसे फंसाने की योजना को आगे बढ़ाया जा सके।
इस तरह से पुलिस ने अपने एक अधिकारी का इस्तेमाल कर गैंग के सदस्यों तक पहुंचने का प्रयास किया, जिससे उन्हें आगे की कार्रवाई में मदद मिल सके।