इजरायल के हमलों और मध्य पूर्व संकट:

हाल के इजरायल के हमले, विशेष रूप से हमास, हिजबुल्लाह, और हूती के खिलाफ, ने कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं।

संभावित परिदृश्य:

  1. नए मध्य पूर्व संकट की शुरुआत:
    • विशेषज्ञों का मानना है कि इन हमलों के परिणामस्वरूप क्षेत्र में स्थिरता को खतरा हो सकता है। यह किसी नए संकट की शुरुआत का संकेत हो सकता है, जो पहले से मौजूद तनावों को और बढ़ा सकता है।
  2. तीसरे विश्वयुद्ध की संभावना:
    • कुछ विश्लेषक यह चिंता जता रहे हैं कि यदि ये हमले बढ़ते हैं और अन्य देशों को भी शामिल करते हैं, तो यह वैश्विक संघर्ष की ओर ले जा सकता है।
  3. इजरायल की स्थिति:
    • कई लोग यह मानते हैं कि इजरायल इन हमलों के द्वारा खुद के लिए बड़ी मुसीबत मोल ले रहा है। यह स्थिति उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग कर सकती है और क्षेत्रीय सुरक्षा को भी प्रभावित कर सकती है।

विशेषज्ञों की राय:

  • विशेषज्ञों का सुझाव है कि इन घटनाओं पर बारीकी से नजर रखने की आवश्यकता है। स्थायी शांति के लिए कूटनीतिक प्रयासों की दिशा में आगे बढ़ना जरूरी है।

इस समय, स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, सभी पक्षों के लिए संयम बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

इजरायल के हालिया हमले और उनके प्रभाव

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का यह ऐलान कि हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की हत्या क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बदलने का एक बड़ा कदम है, स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। हाल के इजरायली हमले, जो ईरान समर्थित आतंकवादी समूहों पर केंद्रित हैं, कई सवाल खड़े कर रहे हैं।

प्रमुख घटनाएँ:

  1. सड़क और वॉकी-टॉकी विस्फोट:
    • इजरायल ने हिजबुल्लाह के नेटवर्क को कमजोर करने के लिए विभिन्न प्रकार के हमले किए हैं, जिसमें सड़क पर बम विस्फोट और वॉकी-टॉकी हमले शामिल हैं।
  2. दक्षिणी बेरूत पर हवाई हमला:
    • हवाई हमले में हिजबुल्लाह के वरिष्ठ कमांडर इब्राहिम अकील को मारा गया, जिससे संगठन की कमान में और गिरावट आई।
  3. नसरल्लाह की हत्या:
    • हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह की हत्या से संगठन की लीडरशिप लगभग खत्म हो गई है, जिससे इजरायल ने अपनी जीत का दावा किया है।

संभावित परिणाम:

  • शक्ति संतुलन में बदलाव:
    • नेतन्याहू का मानना है कि ये हमले क्षेत्र में इजरायल के शक्ति संतुलन को मजबूत करेंगे, लेकिन विशेषज्ञों का तर्क है कि ये कदम संभावित रूप से इजरायल के लिए भारी पड़ सकते हैं।
  • हिजबुल्लाह का उदय:
    • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इजरायल के पूर्व के कदमों, जैसे कि हिजबुल्लाह के खिलाफ सैन्य कार्रवाई, ने इस संगठन के निर्माण में योगदान दिया था।

विशेषज्ञों की राय:

  • कुछ विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि इजरायल को इस प्रकार के हमलों के परिणामों को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि इससे क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा हो सकता है।

निष्कर्ष:

इजरायल के हमले और उनके बाद के परिणाम यह स्पष्ट करते हैं कि क्षेत्रीय राजनीति कितनी जटिल है। यह जरूरी है कि सभी पक्ष संयम बरतें और स्थिति को और न बिगाड़ें।

क्या हुआ था 1982 में जब इजराइल ने उठाया था ये कदम

इजरायल का लेबनान पर आक्रमण: जून 1982

जून 1982 में, इजरायल ने फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (PLO) को कमजोर करने के लिए लेबनान पर एक व्यापक आक्रमण किया। इस आक्रमण के पीछे इजरायल के कई महत्वपूर्ण उद्देश्य थे:

  1. ईसाई वर्चस्व वाली सरकार की स्थापना:
    • इजरायल ने योजना बनाई कि वह लेबनान में एक ईसाई वर्चस्व वाली सरकार बनाएगा, जो उसके समर्थन में होगी। यह सरकार इजरायल के लिए रणनीतिक रूप से फायदेमंद साबित हो सकती थी, विशेषकर जब बात फिलिस्तीनियों और सीरियाई फोर्सेज के खिलाफ एकजुट होने की आती।
  2. सीरियाई फोर्सेज को बाहर निकालना:
    • इजरायल का एक अन्य उद्देश्य था लेबनान से सीरियाई फोर्सेज को हटाना, जिससे उसे उत्तरी सीमा पर सुरक्षा मिल सके। सीरिया का प्रभाव और मौजूदगी इजरायल के लिए खतरा बन गई थी, और उसे इसे समाप्त करना था।
  3. PLO को नष्ट करना:
    • मुख्य लक्ष्य PLO को समाप्त करना था, जो उस समय एक मजबूत ताकत के रूप में उभर रहा था और इजरायल के लिए एक बड़ा सुरक्षा खतरा था।

नाकामयाबी के परिणाम

हालांकि इजरायल ने आक्रमण में तेजी से आगे बढ़ते हुए कुछ क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल किया, लेकिन वह अपने तीनों प्रमुख उद्देश्यों में सफल नहीं हो सका:

  • स्थायी सरकार की स्थापना: इजरायल द्वारा स्थापित की गई सरकार लंबे समय तक स्थिर नहीं रह सकी और लेबनान में राजनीतिक स्थिति और जटिल हो गई।
  • सीरियाई फोर्सेज का खात्मा: सीरिया ने अपने सैनिकों को लौटाया और लेबनान में अपनी उपस्थिति बनाए रखी, जो कि इजरायल की योजना के विपरीत था।
  • PLO का अंत: जबकि इजरायल ने PLO को कमजोर करने के प्रयास किए, संगठन अंततः अपनी गतिविधियों को फिर से संगठित करने में सफल रहा और क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को बनाए रखा।

निष्कर्ष

1982 का इजरायली आक्रमण लेबनान के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। इसके दीर्घकालिक परिणामों ने न केवल लेबनान की आंतरिक राजनीति को प्रभावित किया, बल्कि पूरे क्षेत्र में सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता पर भी गहरा प्रभाव डाला। यह उदाहरण यह दर्शाता है कि सैन्य आक्रमण अक्सर जटिल और अप्रत्याशित परिणामों के साथ आते हैं, और रणनीतिक योजनाएं वास्तविकता में कैसे बदल सकती हैं।

 

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