डीसीपी राम बदन सिंह ने आगे बताया कि अभिषेक उर्फ विक्रम और उसका गिरोह भीड़भाड़ वाले बाजारों और इलाकों में खड़ी कारों को निशाना बनाता था। यह गिरोह पांच के सिक्के, गुलेल, और छर्रों का उपयोग करके महज पांच सेकेंड में कार के शीशे को तोड़कर उसमें रखा सामान चोरी कर फरार हो जाता था।
चोरी किए गए लैपटॉप और अन्य सामान को बेचकर गिरोह के सदस्य आपस में पैसे बांट लेते थे। नोएडा के अलावा, आरोपी ने दिल्ली, गाजियाबाद, मेरठ, फरीदाबाद और गुरुग्राम जैसे शहरों में भी वारदातें की हैं।
गिरोह की योजना में गूगल मैप का उपयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। अभिषेक सुबह और शाम के समय यह जांचता था कि शहर में कहां पर ट्रैफिक जाम अधिक होता है
और फिर अपने साथियों को वहां भेज देता था। गिरोह के सदस्य चालाकी से पीछे से कार पर जोर से मारते थे, जिससे ड्राइवर बाहर निकलकर देखने आता, और इस बीच दूसरे सदस्य कार से बैग या लैपटॉप चोरी कर भाग जाते थे। पुलिस अब अभिषेक के एक और साथी मंगेश की तलाश कर रही है, जो इस गिरोह का हिस्सा है।
कार की डिक्की में रखा बैग
एसीपी ट्विंकल जैन ने लोगों से अपील की है कि जब भी वे अपनी कार से दूर जाएं, तो लैपटॉप या बैग जैसी कीमती वस्तुएं सीट पर छोड़ने के बजाय उन्हें डिग्गी में सुरक्षित रखें। शहर में कई गिरोह सक्रिय हैं,
जो कार का शीशा तोड़कर अंदर रखा सामान, विशेष रूप से लैपटॉप, चोरी करने में माहिर हैं। हाल ही में, सेक्टर-58 थाने की पुलिस ने ठक-ठक गिरोह के चार बदमाशों को गिरफ्तार किया था।
इनमें से एक बदमाश को पुलिस मुठभेड़ में गोली लगी थी, जबकि बाकी तीन को घेराबंदी कर पकड़ा गया था। पुलिस की यह कार्रवाई इस तरह की आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।