एफएनएन ब्यूरो, बरेली । ओडिशा से आए 25 पशु चिकित्सा अधिकारियों को भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) में मवेशियों में कृत्रिम गर्भाधान और दुधारू पशुओं में बांझपन के कुशल प्रबंधन के बारे में 5 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। आईवीआरआई के पशु पुनरुत्पादन विभाग और संयुक्त निदेशक (विस्तार) के सम्मिलित प्रयासों से ओडिशा सरकार द्वारा पूर्णतया प्रायोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 21 पुरुष और 4 महिला पशु चिकित्सा अधिकारियों ने भाग लिया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. संजय कुमार सिंह, संयुक्त निदेशक (शोध) ने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान तकनीक पुरानी  लेकिन आज भी प्रासंगिक है। इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा मवेशियों को बांझपन की समस्या से छुटकारा दिलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जर्मप्लाज्म तकनीक में सुधार होगा तो मवेशियों की प्रजनन क्षमता भी जरूर बढ़ेगी। उन्होंने मवेशियों में बांझपन के प्रमुख कारणों एनेस्ट्रस और रिपीट ब्रीडर्स के बारे में भी विस्तार से प्रकाश डाला।
डॉ हरिंद्र कुमार, एमेरिटस प्रोफेसर (पशु पुनरुत्पादन) ने संक्षिप्त उद्बोधन मेँ बताया कि दृष्टिकोण में बदलाव और अत्याधुनिक ज्ञान- कौशल, प्रबंधन को बढ़ावा देकर ही दुधारू पशुओं में जर्मप्लाम सुधार कर उनकी प्रजनन क्षमता में अपेक्षित वृद्धि संभव है।
डॉ मिराज हैदर खान, विभागाध्यक्ष (पशु पुनरूत्पादन) ने क़ज़ा कि कि ओडिशा का राष्ट्रीय दुग्ध उत्पादन में योगदान एक प्रतिशत के आसपास है। कृत्रिम गर्भाधान, जर्मप्लाम, नस्ल सुधार को बढ़ावा देकर ओडिशा के पशुओं में भी बांझपन की समस्या से असरदार ढंग से निपटा जा सकता है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. ब्रजेश कुमार, वैज्ञानिक (पशु पुनरुत्पादन) ने किया। कॉर्डिनेटर डॉ नीरज श्रीवास्तव, डॉ. एस के घोष का भी सक्रिय सहयोग रहा। इस दौरान मौजूद रहे।

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