उत्तर प्रदेश की एक लड़की आरती गुप्ता ने अपने जीवन में एक बड़ा बदलाव किया है. आरती जिसका जीवन एक समय साधारण था, आज वह पीसीएस अधिकारी है. आरती की सफलता की कहानी एक प्रेरणा है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं.

आरती का बचपन

आरती का बचपन काफी संघर्षपूर्ण था. वह एक गरीब परिवार से थी और उसके माता-पिता उसके लिए पैसे नहीं जुटा पाते थे. इसलिए आरती को स्कूल जाने के लिए 5 किलोमीटर साइकिल चलाना पड़ता था. उसके बाद वह अपने दो छोटे भाइयों का ध्यान रखना पड़ता था. शादी कम उम्र में हो गई और जल्दी ही वह दो बच्चों की मां बन गई.

कैसे शुरू हुआ आरती का सफर

आरती की मां शिक्षक थीं और परिवार में उनके दो छोटे भाई भी थे. ऐसे में स्कूल के बाद उन्हें अपने दोनों भाइयों का ध्यान रखना पड़ता. ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने BTC कोर्स में एडमिशन ले लिया. कोर्स के दौरान एक कार्यक्रम में आरती की मुलाकात उस समय की जिलाधिकारी अमृता सोनी से हुई. जिलाधिकारी के पद और उनके काम को देखकर आरती के मन में सपना जगा कि एक दिन वो भी अफसर बनेंगी.

तुम्हारी औकात क्या है…

आरती ने पीसीएस परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. 2018 में फॉर्म निकले और उन्होंने परीक्षा देकर प्रीलिम्स क्वालीफाई कर लिया. आरती के लिए ये एक बड़ी सफलता थी. हालांकि, अच्छी तैयारी के बावजूद उन्हें मेंस में सफलता नहीं मिल पाई. उनका सपना टूटा, लेकिन हिम्मत अभी भी मौजूद थी. उन्होंने तय कर लिया कि यहां से अब पीछे नहीं लौटेंगी और फिर से तैयारी करेंगी.

पति ने किया तैयारी के लिए सपोर्ट

आरती के पति ने साथ दिया और एक दिन कहा, आरती अगर तुम्हें मेंस परीक्षा पास करनी है, तो घर छोड़ना होगा. घर की जिम्मेदारियों से अलग होकर तैयारी करो. पति की बात मानकर आरती दिल्ली आ गईं और मुखर्जी नगर में एक पीजी में रहकर तैयारी करने लगीं.

मम्मी देखो आपका फोटो छपा है…

आरती ने पूरी रणनीति के साथ इंटरव्यू की तैयारी की. फाइनल रिजल्ट घोषित हुआ तो उसमें आरती का नाम था. उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया. यहां तक कि जिन लोगों ने उनसे सालों से बात नहीं की थीं, वे भी उन्हें बधाई देने लगे.

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