मायावती का यह बयान सपा और बीजेपी की सरकारों की कानून व्यवस्था पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी है। उनका कहना है कि सपा की सरकार में भी कानून व्यवस्था खराब थी

और दलित तथा पिछड़े वर्ग के लोग हिंसा और शोषण का शिकार होते थे। इसके विपरीत, मायावती का दावा है कि बसपा की सरकार में जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव किए बिना सभी को न्याय प्रदान किया गया।

यह बयान राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विभिन्न पार्टियों के शासनकाल की समीक्षा और तुलना करता है। मायावती का यह बयान बसपा की शासन नीतियों की सफलता और सपा तथा बीजेपी की सरकारों की नाकामी की ओर इशारा करता है

। ऐसे बयानों से यह भी स्पष्ट होता है कि राजनीतिक नेता अपने शासनकाल के सकारात्मक पहलुओं को सामने लाने की कोशिश करते हैं, जबकि विरोधी पार्टियों के शासनकाल की आलोचना करते हैं।

उत्तर प्रदेश में पुलिस एनकाउंटर को लेकर उठे विवाद में मायावती का बयान राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। मंगेश यादव के एनकाउंटर के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर जातिवाद के आधार पर आरोप लगाया है।

इसी विवाद में मायावती ने बीजेपी और सपा की नीतियों की तुलना करते हुए कहा है कि दोनों पार्टियां एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और उनके शासनकाल में भी कई मुद्दे समान हैं।

मायावती का यह बयान इस ओर संकेत करता है कि वह अपनी पार्टी की सरकार को अधिक न्यायपूर्ण और बेदाग मानती हैं, और अन्य पार्टियों की आलोचना करती हैं। उनका कहना है कि बसपा सरकार के दौरान कोई फर्जी एनकाउंटर नहीं हुए

और जाति तथा धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया गया। इस प्रकार, वह बसपा के शासनकाल को एक आदर्श उदाहरण के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही हैं।

यह बयान राजनीतिक माहौल को और गरम कर सकता है क्योंकि इसमें न केवल वर्तमान सरकार की आलोचना है, बल्कि पूर्ववर्ती सपा सरकार की भी आलोचना की गई है। इससे राजनीतिक तकरार और विरोधी पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला और तेज हो सकता है।

मायावती के सोशल मीडिया X पर किए गए पोस्टों में उन्होंने उत्तर प्रदेश के सुल्‍तानपुर में हुए एनकाउंटर को लेकर बीजेपी और सपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप को लेकर कड़ी टिप्पणी की है।

उनके बयानों में यह स्पष्ट किया गया है कि दोनों प्रमुख दल—बीजेपी और सपा—के बीच कानून व्यवस्था को लेकर झगड़े और आरोप-प्रत्यारोप राजनीति का हिस्सा बन गए हैं।

मायावती ने इन दोनों पार्टियों को “चोर-चोर मौसेरे भाई” की उपमा देते हुए यह आरोप लगाया है कि दोनों ही दलों ने कानून व्यवस्था को लेकर असफलता दर्शायी है। उनका कहना है कि सपा सरकार के दौरान भी कानून व्यवस्था की स्थिति खराब थी

और दलितों, पिछड़ों, गरीबों और व्यापारियों के साथ अत्याचार होता था। मायावती का यह बयान सपा के खिलाफ उनकी आलोचना को और तेज करता है, जबकि बीजेपी की आलोचना को भी बढ़ावा देता है।

यह बयान राजनीतिक विमर्श में गर्माहट ला सकता है, क्योंकि मायावती ने सपा और बीजेपी की नीतियों और प्रशासनिक कार्यप्रणाली की तुलना की है, और बसपा के शासनकाल को एक बेहतर विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है। इस प्रकार के बयानों से चुनावी माहौल और राजनीतिक बहसों में और अधिक तूल मिल सकता है।

अपनी सरकार के दिनों को किया याद

मायावती का यह बयान उनके शासनकाल की उपलब्धियों को सामने लाने का एक प्रयास है। उनके अनुसार, बसपा सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश में कानून का शासन सही मायनों में लागू किया गया और जाति या धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया गया। उन्होंने दावा किया है कि उनकी सरकार के समय कोई फर्जी एनकाउंटर नहीं हुए, जो कि वर्तमान सरकार और सपा सरकार की आलोचना के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बिंदु है।

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