उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के गौरीकुंड क्षेत्र में रविवार तड़के एक दुखद हेलीकॉप्टर हादसे में उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की महिला और उसकी नातिन की जान चली गई। यह हादसा उस समय हुआ जब वे केदारनाथ धाम से गुप्तकाशी लौट रही थीं। मौसम खराब होने के चलते हेलीकॉप्टर गौरीकुंड के पास क्रैश हो गया, जिसमें सभी सात यात्रियों की मौत हो गई।

परिवार के साथ धार्मिक यात्रा पर निकली थीं

बिजनौर निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मपाल सिंह 13 जून को अपने पूरे परिवार के साथ केदारनाथ यात्रा पर निकले थे। उनके साथ उनकी पत्नी विनोद देवी (66), पोता ईशान, नाती गौरांश और नातिन तुष्टि भी थी। परिवार नगीना से कार द्वारा गुप्तकाशी पहुंचा और वहां से हेलीकॉप्टर से केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए गया। तय कार्यक्रम के अनुसार, 14 जून की शाम को सभी को हेलीकॉप्टर से वापस गुप्तकाशी लौटना था।

दो ग्रुप में बांटा गया परिवार, एक हेलीकॉप्टर नहीं लौटा

वापसी के वक्त हेलीपैड पर यात्रियों को दो अलग-अलग समूहों में बांटा गया। धर्मपाल सिंह ने सभी को एक साथ भेजने की अपील की, लेकिन कंपनी ने नियमों का हवाला देते हुए उन्हें अलग-अलग हेलीकॉप्टरों में बैठाया। धर्मपाल, उनका पोता और नाती एक हेलीकॉप्टर में सवार हुए, जबकि उनकी पत्नी और नातिन दूसरे हेलीकॉप्टर में थीं।

धर्मपाल का हेलीकॉप्टर तो सुरक्षित गुप्तकाशी पहुंच गया, लेकिन दूसरा हेलीकॉप्टर लौट नहीं पाया। कुछ देर बाद जब उसका कोई पता नहीं चला तो खोजबीन शुरू की गई। बाद में सूचना मिली कि वह हेलीकॉप्टर गौरीकुंड के पास क्रैश हो गया और उसमें सवार सभी यात्रियों की मौत हो गई।

बिजनौर में मचा कोहराम

हादसे की खबर जब बिजनौर स्थित उनके घर पहुंची तो परिवार पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है और इलाके में शोक की लहर है। हादसे के बाद धर्मपाल सिंह सहित अन्य परिजन तुरंत केदारनाथ के लिए रवाना हो गए।

पूरे क्षेत्र में शोक की लहर

धर्मपाल सिंह अपने जीवन के इस सबसे बड़े सदमे से टूट चुके हैं। उन्होंने बताया कि अगर परिवार को एकसाथ भेजा गया होता तो शायद इस हादसे से बचा जा सकता था। फिलहाल पूरा क्षेत्र इस दर्दनाक घटना से सदमे में है और सभी मृतकों को श्रद्धांजलि दी जा रही है।

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