एफएनएन ब्यूरो, बरेली। एक फरवरी शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए वित्तीय वर्ष 2025-26 के आम बजट पर बरेली-मीरगंज क्षेत्र के स्थानीय व्यापारियों, राजनेताओं समेत विभिन्न वर्गों की ओर से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं।

विभिन्न वर्गों के लिए कल्याणकारी है यह बजट
यह बजट राष्ट्रीय विकास के कई प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है: गरीबों का कल्याण, युवाओं के लिए रोजगार, महिला सशक्तिकरण और किसानों की आय में वृद्धि। इसका उद्देश्य कृषि विकास और उत्पादकता को बढ़ावा देना, गांवों और गरीबों की समृद्धि में सुधार करना, आयकर में राहत देना, “मेक इन इंडिया” को बढ़ावा देना, महिला उद्यमियों को सशक्त बनाना, स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाना, एमएसएमई और नवाचार का समर्थन करना और बुनियादी ढांचे का विकास करना है। संक्षेप में, यह समावेशी विकास और आर्थिक उन्नति के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण है।

–कैलाश शर्मा
मंडल अध्यक्ष- भाजपा, फतेहगंज पश्चिमी, बरेली

आम बजट 2025 मध्यम वर्गीय लोगों को टैक्स के भारी-भरकम बोझ से उबारकर देश को तीव्र और सर्वांगीण तथा बहुआयामी आर्थिक विकास की दिशा में सरपट दौ़ड़ाने की सर्वथा न्यायोचित और व्यावहारिक कार्ययोजना पर केंद्रित है। इस बजट की सबसे बड़ी और मुख्य विशेषता 12 लाख रुपये वार्षिक तक आय वर्ग के मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए संशोधित शून्य आयकर स्लैब हैं। उम्मीद है कि आम बजट में की गई इस नई व्यवस्था से 12 लाख तक वार्षिक आय वाले मध्यम वर्गीय परिवारों के पास अब अधिक खर्च योग्य रकम हो सकेगी। आम बजट में बुनियादी ढांचा विकास के प्रमुख क्षेत्रों (जैसे- कृषि, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी) के लिए भी पर्याप्त धनावंटन किया गया है। साथ ही डिजिटल इंडिया पहलों को बढ़ावा देते हुए तीव्र सतत विकास पर जोर दिया गया है। संशोधित कर स्लैब से उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा मिलने और एक मजबूत अर्थव्यवस्था में योगदान बढ़ने की पूरी उम्मीद है।

-भूपेन्द्र सिंह चौधरी
कर अधिवक्ता, बरेली
बजट से मिलेगी शहरी-ग्रामीण क्षेत्र में विकास का आधारभूत ढांचा बनाने में मदद
आम बजट-2025 में मिडिल क्लास और सर्विस सेक्टर की चिंता तो खूब दिखी है लेकिन किसान की चिंताओं को केवल ‘करेंगे, या कर रहे हैं’-जैसे शब्दों के इस्तेमाल तक ही सीमित कर दिया है।किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख करना जरूर अच्छा कदम है। लेकिन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, किसान सम्मान निधि को बढ़ाकर दोगुना करने, फसल बीमा योजना में किसान का अंशदान शून्य करने जैसी किसानों की प्रमुख मांगों को सरकार ने छुआ तक नहीं है। बहरहाल, कृषकों को सस्ते कर्ज की सीमा बढ़ाने का फैसला भी स्वागत योग्य है। कुल मिलाकर यह एक रूटीन बजट है इससे किसानों का कल्याण होगा- यह उम्मीद की जा सकती है। ग्रामीण और किसान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर दौड़ाने के लिएर ₹10 हजार लाख करोड़ के बूस्टर डोज की जरूरत है। इस बजट से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में विकास का संतुलित आधारभूत ढांचा तैयार करने में अवश्य मदद मिल सकती है।

-अरुण राठी,
बरेली मंडल अध्यक्ष-भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक)
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