यह एक ऐसा केस था जिसमें पुलिस के पास कोई सुराग या सबूत नहीं था। दो कातिल थे, और काफी मेहनत के बाद पुलिस ने एक को पकड़ लिया, लेकिन दूसरे का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था। पुलिस उसकी खोज में लगातार जुटी रही, लेकिन वह अपनी लोकेशन बार-बार बदलता रहा। कानून की नजरों से बचने के लिए वह एक साधु का रूप धारण कर लेता और कभी कन्याकुमारी, कभी पुरी जगन्नाथ चला जाता।

नई दिल्ली: एक लाश, दो कातिल, और कई साल की खोज—ये केस दिल्ली पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया। काफी मेहनत के बाद पुलिस ने एक कातिल को पकड़ लिया, लेकिन दूसरे के बारे में कोई सुराग नहीं मिला। इस कातिल की तस्वीर भी 27 साल पुरानी थी। पुलिस ने शहर-शहर उसकी तलाश की, लेकिन वह बेहद शातिर था। उसने अपने मोबाइल को कई दिनों तक बंद रखा और जब पुलिस उसकी लोकेशन पर पहुंचती, वह ठिकाना बदल चुका होता। कभी कन्याकुमारी, कभी पुरी जगन्नाथ, तो कभी ऋषिकेश—साधु का वेष अपनाकर यह कातिल दिल्ली पुलिस की नजरों से 27 साल तक बचा रहा।

यह कहानी एक मर्डर केस की है जिसमें दिल्ली पुलिस को 27 साल बाद सफलता मिली। साल 1997 में, दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में एक हत्या हुई, जिसका कारण प्रॉपर्टी विवाद था। मृतक की पत्नी ने पुलिस को बताया कि पड़ोस में रहने वाले टिल्लू और रामू ने उसके पति किशनलाल की जान ली। पुलिस ने जांच शुरू की, लेकिन दोनों के कोई सुराग नहीं मिले और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। हालांकि, 2021 में यह केस फिर से खुला और नई सिरे से जांच शुरू की गई।

रामू पकड़ा गया, लेकिन टिल्लू फरार

पुलिस को इस पुराने मर्डर केस में पहला सुराग रामू के बारे में मिला। पता चला कि रामू नाम बदलकर यूपी के लखनऊ में रह रहा है। पुलिस ने सादी वर्दी में लखनऊ जाकर रामू तक पहुंच तो गई, लेकिन ठोस सबूत नहीं मिल पाए। आखिरकार, मृतक किशनलाल की पत्नी को लखनऊ बुलाया गया, और उसने रामू को पहचान लिया। रामू को गिरफ्तार कर लिया गया और उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। अब पुलिस को दूसरे कातिल टिल्लू की तलाश थी, जिसे पता चला कि उसने अपना नाम बदलकर रामदास रख लिया है और वह साधु बनकर अलग-अलग शहरों में घूमता है।

ऋषिकेश में मिली लोकेशन, पुलिस ने भंडारे का आयोजन किया

पुलिस को टिल्लू की लोकेशन एक दिन कन्याकुमारी में मिली, लेकिन जब तक वे वहां पहुंची, टिल्लू ओडिशा के पुरी जगन्नाथ चला गया था। पुलिस ने उसकी तलाश में कई जगहों पर छानबीन की, लेकिन टिल्लू, जो अब रामदास के नाम से जाना जाता था, हमेशा एक कदम आगे था। अप्रैल 2024 में पुलिस को खबर मिली कि टिल्लू उत्तराखंड के ऋषिकेश में रह रहा है। वह साधु का वेष बनाकर मंदिरों और धर्मशालाओं में ठहरा और भंडारों में खाना खाकर अपना पेट भरता था। दिल्ली पुलिस की एक टीम सादी वर्दी में तुरंत ऋषिकेश पहुंची और उसकी संभावित लोकेशन के पास एक भंडारा लगाकर उसे पकड़ने की कोशिश की।

भंडारे में खाना खाने आया टिल्लू, पुलिस ने पकड़ लिया

पुलिस ने टिल्लू की खोज में एक के बाद एक भंडारे आयोजित किए। पहले दो भंडारों में टिल्लू नहीं आया, लेकिन उसकी लोकेशन ऋषिकेश में ही थी। अंत में, पुलिस ने तीसरा भंडारा लगाया, और इस बार टिल्लू वहां खाना खाने आया। पुलिस ने मौके पर ही उसे गिरफ्तार कर लिया।

27 साल बाद, दिल्ली के इस मर्डर केस का आरोपी पकड़ लिया गया। टिल्लू ने बताया कि किशनलाल की हत्या का कारण उसकी बहन और बहनोई के साथ प्रॉपर्टी विवाद था। उसने किशनलाल को बातचीत के लिए बुलाया और गुस्से में आकर चाकू से हमला कर उसकी हत्या कर दी।

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