नैशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गनाइजेशंस (NACDAOR) ने भारत बंद का आह्वान किया, और इस आह्वान को दलित-पिछड़े और आदिवासी समुदायों की राजनीति करने वाले विभिन्न राजनीतिक दलों ने समर्थन दे दिया। इस समर्थन में उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य राज्यों के क्षेत्रीय दल भी शामिल हैं।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) में उपवर्गीकरण की अनुमति दे दी है। कोर्ट का कहना है कि इससे आरक्षण का लाभ केवल कुछ जातियों तक सीमित न रहकर, एससी और एसटी की कम आबादी वाली जातियों तक भी पहुंचेगा। हालांकि, इस निर्णय का विभिन्न राजनीतिक दलों ने विरोध किया। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट की सलाह मानना संभव नहीं है, क्योंकि संविधान में आरक्षण की व्यवस्था को लेकर ऐसी बात नहीं की गई है। सरकार के स्पष्टीकरण के बावजूद, आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्गों के लिए काम करने वाली संस्थाएं और इन वर्गों की राजनीति करने वाली पार्टियों ने भारत बंद का आह्वान कर दिया है।

भारत बंद को किन पार्टियों का समर्थन, देख

सुप्रीम कोर्ट के 21 अगस्त के फैसले के विरोध में दलित एवं आदिवासी संगठनों का राष्ट्रीय संघ (NACDAOR) द्वारा बुलाए गए भारत बंद को निम्नलिखित पार्टियों का समर्थन प्राप्त है:

  • बहुजन समाज पार्टी (BSP)
  • समाजवादी पार्टी (SP)
  • राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI)
  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPI-M)

किस मांग के लिए भारत बंद?

  • जातिगत आंकड़ों की तत्काल जारी करने की मांग: एनएसीडीएओआर का कहना है कि एससी (अनुसूचित जाति), एसटी (अनुसूचित जनजाति), और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) कर्मचारियों के जातिगत आंकड़े तुरंत जारी किए जाएं। इससे इन वर्गों का सरकारी नौकरियों में उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सकेगा।

  • भारतीय न्यायिक सेवा आयोग की स्थापना: एनएसीडीएओआर की एक अन्य प्रमुख मांग है कि एक भारतीय न्यायिक सेवा आयोग स्थापित किया जाए। इसका उद्देश्य है कि हाई कोर्टों और सुप्रीम कोर्ट में एससी, एसटी, और ओबीसी श्रेणियों को 50% प्रतिनिधित्व प्राप्त हो सके।

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