नई दिल्ली: क्या आप सोच सकते हैं कि जिस शख्स को आंखों से दिखाई नहीं देता हो, वो दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी की परीक्षा पास कर सकता है? जिसने बचपन के दिनों से ही धीरे-धीरे अपनी आंखों की रोशनी खोई हो, वही शख्स आईएएस अधिकारी जैसे बड़े पद पर पहुंच सकता है? इन दोनों सवालों के जवाब का नाम है अंकुरजीत सिंह। 2018 बैच के आईएएस अधिकारी अंकुरजीत सिंह ने अपनी चुनौतियों को ही ताकत बनाया और उस लक्ष्य को हासिल किया, जहां पहुंचने का सपना देखने के भी बहुत हिम्मत चाहिए।

अंकुरजीत सिंह को हाल ही में जालंधर विकास प्राधिकरण का चीफ एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया गया है। वह दृष्टिबाधित जरूर हैं, लेकिन उनके काम के प्रति समर्पण को देखकर कोई नहीं कह सकता कि उन्हें कोई कमी है। हरियाणा में यमुनानगर के रहने वाले अंकुरजीत ने अपनी दृष्टि बाधा को कभी भी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।

बचपन से ही चुनौतियों का सामना

बचपन से ही अंकुरजीत को दिखाई देने में परेशानी होती थी, लेकिन धीरे-धीरे यह समस्या बढ़ती गई। शुरुआत में वे पढ़ाई-लिखाई खुद करते थे, लेकिन बाद में उन्हें लैपटॉप, आई-पैड जैसी तकनीक का सहारा लेना पड़ा। फिर भी उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से सिविल सेवा परीक्षा पास की और एक कामयाब प्रशासनिक अधिकारी बने। 2017 की यूपीएससी परीक्षा में उन्हें 414वीं रैंक मिली।

सेना में जाना चाहते थे अंकुरजीत

अंकुरजीत सिंह का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां माता-पिता दोनों ही सरकारी नौकरी में थे। उन्हें बचपन से ही देखने में समस्या थी, लेकिन उन्होंने अपनी इसी चुनौती को ताकत बना लिया। धीरे-धीरे अंकुरजीत ने अपनी इस वास्तविकता को स्वीकार कर लिया। उनके माता-पिता ने भी उनका पूरा साथ दिया और मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखा।

पिता की सीख से बने आईएएस अफसर

अंकुरजीत सिंह बताते हैं कि उनके अंदर हमेशा से ही सेना में जाने का एक जुनून रहा। हालांकि, बाद में पिता ने समझाया एनडीए की लिखित परीक्षा पास करने के बाद भी मेडिकल टेस्ट पास करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी। इसके बाद उन्होंने अपना रुख यूपीएससी की तरफ किया। अपनी दृष्टि बाधा के बावजूद अंकुरजीत काफी एक्टिव रहते हैं।

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