एफएनएन, श्रीनगर: पहलगाम नरसंहार में लिप्त आतंकी अभी ज्यादा दूर नहीं भागे हैं। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, आतंकी अभी भी पहलगाम के आसपास किसी जंगल या बस्ती में छिपे हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, दो दिन पहले संदिग्ध आतंकियों ने एक घर में खाना खाया और भाग गए। 

इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने जब परिवार के लोगों को पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों के स्केच बताए तो उन्होंने उनकी पहचान की। वहीं, सूत्रों के अनुसार, आतंकियों ने बीते दिनों सेटेलाइट फोन का भी इस्तेमाल किया है।

लगातार अपना ठिकाना बदल रहे आतंकी

इन सबके आधार पर यह माना जा रहा है कि हमलावर आतंकी ज्यादा दूर नहीं जा पाए हैं। वह इसी क्षेत्र में लगातार अपना ठिकाना बदल रहे हैं। उनके जंगल में किसी प्राकृतिक गुफा में या आसपास की किसी बस्ती में छिपे होने की आशंका है। पहलगाम के आसपास बीते सात दिन से जारी तलाशी अभियान के तहत की गई घेराबंदी का दायरा भी अब और तंग कर दिया गया है।

लाशी अभियान में खोजी श्वान और ड्रोन की भी मदद ली जा रही है। इसके अलावा पहलगाम के बैसरन और हपतगुंड के ऊपरी हिस्से में अपने मवेशियों के साथ डेरा जमाने वाले खानाबदोश गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के कुछ लोगों को भी चिह्नित किया गया है, उन्होंने कथित तौर पर हमलावर आतंकियों को देखा है। उन्हें लगा था कि यह निकटवर्ती बस्ती के ग्रामीण हैं, जो ऊपर जंगल में लकड़ी लेने या फिर जड़ी बूटियों की तलाश में आए होंगे।

पहलगाम और हपतगुंड के आसपास छिपे हो सकते हैं आतंकी

सूत्रों के अनुसार, बैसरन के आसपास के इलाके में विभिन्न चरागाहों में बने कुछ गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के कोठों (अस्थायी आश्रय) की भी तलाशी ली जा रही है। उन्होंने बताया कि हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने पहलगाम, अनंतनाग और उसके साथ सटे इलाकों से 188 संदिग्ध तत्वों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। इनमें से अधिकांश पूर्व आतंकी और आतंकियों के ओवरग्राउंड वर्कर हैं।

बताया जा रहा है कि इनमें से 15 ओवरग्राउंड वर्कर कुछ समय पहले ही रिहा हुए थे। इन्होंने पहलगाम और उसके आस पास के इलाकों में सक्रिय रहे आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ विशेष मार्गों और ठिकानों की भी अहम जानकारी दी है। हालांकि, पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

सूत्रों ने बताया कि हमलावर आतंकी पहलगाम और हपतगुंड के आसपास ही किसी जगह छिपे हुए हैं। इस पूरे क्षेत्र में सुरक्षा एजेंसियों ने सभी संदिग्ध तत्वों की निगरानी शुरू कर रखी है। स्थानीय लोगों से लगातार संपर्क कर उनसे अपने क्षेत्र में किसी भी संदिग्ध तत्व को देखे जाने के बारे में पूछा जा रहा है। इन बस्तियों में आने-जाने वालों की भी निगरानी की जा रही है।

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