22 दिसंबर 2010… मुंबई के चेंबूर इलाके में अचानक पुलिस की गाड़ियां यूनियन पार्क की एक कोठी के बाहर रुकीं। दरवाजा बंद था, कोई जवाब नहीं मिला, तो पुलिस ने दरवाजा तोड़ा। अंदर जो नज़ारा था, वो दिल दहला देने वाला था — एक लाश तीन दिनों से यूं ही पड़ी थी। ये कोई आम महिला नहीं, बल्कि अपने दौर की मशहूर फिल्म अभिनेत्री नालिनी जयवंत थीं, जिन्होंने 70 से अधिक फिल्मों में काम कर बॉलीवुड में एक अलग मुकाम हासिल किया था।

कम उम्र में मिली पहचान

18 फरवरी 1926 को मुंबई में जन्मी नालिनी जयवंत ने सिर्फ 14 साल की उम्र में फिल्म ‘बहन’ से अपना करियर शुरू किया। उनकी गहरी आंखें, मासूम मुस्कान और दमदार अभिनय ने उन्हें जल्द ही लोगों के दिलों में जगह दिला दी। देवानंद, दिलीप कुमार और भारत भूषण जैसे सितारों के साथ उन्होंने पर्दे पर शानदार केमिस्ट्री दिखाई।

एक से बढ़कर एक हिट फिल्में

नालिनी ने ‘काला पानी’, ‘मुनीमजी’, ‘नास्तिक’, ‘मिलन’ और ‘जादू’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में यादगार किरदार निभाए। उनके अभिनय की गहराई और खूबसूरती ने उन्हें उस दौर की टॉप अभिनेत्रियों में शामिल कर दिया। करीब तीन दशक तक उन्होंने सिनेमा में राज किया और 70 से ज्यादा फिल्मों का हिस्सा रहीं।

काजोल से खास पारिवारिक नाता

नालिनी जयवंत का फिल्मी जगत से नाता सिर्फ प्रोफेशनल नहीं, पारिवारिक भी था। वे अभिनेत्री काजोल की नानी शोभना समर्थ की चचेरी बहन थीं। इस तरह से वे काजोल के परिवार से भी गहराई से जुड़ी थीं।

जब तन्हाई बन गई हमसफर

अपने करियर में अपार शोहरत पाने वाली नालिनी की जिंदगी के आखिरी साल बेहद अकेलेपन में बीते। उन्होंने समाज से दूरी बना ली थी। चेंबूर के अपने बंगले में वे ज्यादातर समय अकेले ही रहती थीं। नौकर-चाकर मौजूद थे, लेकिन नालिनी का लोगों से मिलना-जुलना लगभग खत्म हो गया था। वे हफ्तों किसी से बातचीत नहीं करती थीं।

2010 में उनकी मौत हो गई, और दुखद बात यह रही कि उनकी मृत्यु की खबर तीन दिन तक किसी को नहीं लग पाई। जब पड़ोसियों को शक हुआ, तब पुलिस को बुलाया गया और फिर जाकर इस खबर से पर्दा उठा।

आज भी ज़िंदा हैं यादों में

नालिनी जयवंत आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी फिल्मों और उनके अभिनय की छाप आज भी सिनेप्रेमियों के दिलों में है। उन्होंने जिस समर्पण और कला के साथ फिल्मों में काम किया, वह उन्हें सदा यादगार बनाता है। उनका जीवन एक सितारे की तरह चमका, लेकिन अंत में वो सितारा तन्हा होकर बुझ गया — एक ऐसी हकीकत जो फिल्मी दुनिया के पीछे छिपे अकेलेपन की सच्चाई बयां करता है।

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