मुक्ति कब मिल पाएगी हिंदुत्व को इस व्याकरण से?
बरेली में ‘साहित्य सुरभि’ की 373वीं मासिक काव्य गोष्ठी में कवियों ने कभी हंसाया-गुदगुदाया, कभी जगाया तो कभी चेताया भी, सबने बटोरीं खूब तालियां और वाहवाही फ्रंट न्यूज नेटवर्क ब्यूरो,…
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बेहद ही खूबसूरत और सटीक काव्यमय संचालन कर रहे चर्चित ग़ज़लकार और कवि राज मिश्र 'ग़ज़लराज' की यह सम-सामयिक ग़ज़ल भी खूब सराही गई- ज़िन्दगी में सिर्फ झंझावात हैं कुछ…