राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के बैक डेट से प्रमोशन देने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। इस फैसले से हजारों कर्मचारियों की उम्मीदों को झटका लगा है। जस्टिस पंकज भंडारी और विनोद कुमार भारवानी की पीठ ने मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस आदेश से वरिष्ठता सूची में बदलाव हो गया है।

जयपुर: राजस्थान में दो से अधिक संतानों वाले कर्मचारियों की लंबे समय से प्रमोशन की उम्मीद को राजस्थान हाई कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। भजनलाल सरकार ने इन कर्मचारियों को बैक डेट से प्रमोशन देने की घोषणा की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की पीठ ने यह निर्णय लिया है, जिससे हजारों कर्मचारियों की उम्मीदों को करारा झटका लगा है।

बैक डेट प्रमोशन पर हाई कोर्ट की रोक कर्मचारियों को बड़ा झटका

राजस्थान हाई कोर्ट ने बैक डेट से प्रमोशन देने पर रोक लगा दी है। संतोष कुमार और अन्य ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि 16 मार्च 2023 की अधिसूचना के तहत दो से अधिक संतानों वाले कर्मचारियों को बैक डेट से प्रमोशन मिल रहा है। इससे वरिष्ठता सूची में बदलाव हुआ है और उनके पदोन्नति के क्रम में उनका स्थान नीचे चला गया है। हाई कोर्ट ने इस मुद्दे पर सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगाई है।

पहले अयोग्य ठहराए गए थे, अब कैसे हो सकते हैं योग्य

याचिकाकर्ताओं के वकील शोभित तिवारी ने बताया कि साल 2001 में राज्य सरकार ने एक नियम जारी किया था, जिसके तहत तीसरा बच्चा होने पर सरकारी कर्मचारियों को 5 साल के लिए प्रमोशन से रोका गया। 2017 में इस अवधि को घटाकर 3 साल कर दिया गया। अब सरकार बैक डेट से प्रमोशन देने की कोशिश कर रही है, जिससे नया विवाद खड़ा हो गया है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने पहले नियम बनाकर इन कर्मचारियों को अयोग्य घोषित कर दिया था और उन्हें प्रमोशन से रोक दिया था। अब उसी सरकार द्वारा इन्हें बैक डेट से प्रमोशन देना कैसे सही हो सकता है

 

 

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