भारत से मदद की अपील
उन्होंने कहा कि शाम पांच बजे से सुबह पांच बजे तक डर के मारे सेना सड़कें खाली कर देती हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मारंग बलूच अब भी जेल में हैं और बलूचिस्तान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन जारी है। उन्होंने सरदार अख्तर मेंगल जैसे नेताओं के प्रयासों को स्वीकार किया, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि चौनी और क्वेटा जैसे क्षेत्रों में पाकिस्तानी सैन्य गढ़ों को खत्म करने के लिए विदेशी समर्थन महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अगर भारत बलूचिस्तान की आजादी का समर्थन करता है, तो बलूचिस्तान के दरवाजे भारत के लिए खुल जाएंगे।
साथ ही कहा कि समर्थन में देरी करने से बर्बर सेना को बढ़ावा मिलेगा, जिसका असर सिर्फ बलूचिस्तान पर ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र पर पड़ेगा। उन्होंने लोकतांत्रिक देशों से बलूच प्रतिनिधियों की मेजबानी करने और संघर्ष को मान्यता देने की अपील की। उन्होंने कहा कि इससे पहले कि पाकिस्तानी सेना को बांग्लादेश की तरह खदेड़ा जाए, बेहतर है कि गरिमा के साथ वह वापस चली जाए।