महाराष्ट्र के जलगांव से 90 लोगों की टीम 17 अगस्त को प्रयागराज पहुंची। टीम लीडर चारू बोंडे ने केसरवानी ट्रेवल्स की दो बसें और एक ट्रेवलर बुक की। तीनों गाड़ियां निर्धारित समय पर प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर पहुंचीं। वहां चारू ने टीम की नंबरिंग की और पर्चियों के आधार पर लोगों को बसों में बैठाया। जिनकी पर्ची में पास आया, वे नेपाल हादसे वाली बस में सवार हुए और नदी में समा गए। जिनकी पर्ची में फेल आया, वे दूसरी बस और ट्रेवलर में बैठे और सुरक्षित बच गए। अब सभी के बीच सीट नंबरिंग के साथ मौत और जीवन की कहानी चर्चा का विषय बनी हुई है।
गोरखपुर पहुंचे दल के लीडर चारू ने बताया कि हम हर साल कहीं न कहीं घूमने जाते हैं। इस बार अयोध्या और नेपाल का प्लान बनाकर 16 अगस्त को निकले थे और 17 अगस्त को प्रयागराज पहुंचे। जिस बस से हादसा हुआ, वह हर किसी को बहुत पसंद आई थी।
सभी लोग उसी बस में सवारी करना चाहते थे, इसलिए पर्चियों के आधार पर सीटें तय की गईं। पास होने वाले 41 लोगों को वही बस दी गई जो सभी को पसंद थी, लेकिन किसी को नहीं पता था कि इस बस में मौत सवार थी। बाकी बस और ट्रैवलर में बैठे लोग सुरक्षित बच गए। चारू ने बताया कि 15 दिन की यात्रा पर निकले थे, लेकिन यह हादसा जिंदगी भर का दर्द दे गया।
भुसावल के अशोक पाटिल ने बताया कि पिछले साल यही टीम केदारनाथ गई थी। इस बार उन्होंने अयोध्या और नेपाल में पशुपतिनाथ के दर्शन का प्लान बनाया। यात्रा पर निकले लोगों में बच्चे नहीं थे, सिवाय एक चार साल की बच्ची की जो अपनी दादी के साथ आई थी और हादसे में उसकी जान चली गई। सभी ने छोटी बच्ची को अपने पास बैठाने की कोशिश की, लेकिन वह भी हादसे वाली बस में ही बैठी थी।
बस अचानक फिसलकर खाई में गिर गई।
भुसावल के पुंजा जी ने हादसे को अपनी आंखों से देखा। उन्होंने बताया कि वह ट्रेवलर में सवार थे। पोखरा से निकलते समय, हादसे वाली बस सड़क पर पहले नंबर पर थी और उनकी ट्रेवलर तीसरे नंबर पर चल रही थी। एक मोड़ पर जैसे ही दूसरी बस ने ब्रेक मारा, वह फिसलकर खाई में गिर गई।
बस अचानक खाई में गिर गई, और सभी के होश उड़ गए। हम कुछ समझ पाते, तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था। नेपाल के स्थानीय लोगों ने तुरंत बचाव कार्य शुरू कर दिया, लेकिन हम सभी अपने प्रियजनों को खोकर सदमे में थे।
सुनील पाटिल और विलास बोंडे ने कहा कि अब बच्चों को क्या जवाब देंगे, जो घर पर उनका इंतजार कर रहे हैं। यात्रा के दौरान, भुसावल के लोगों ने नेपाल और गोरखपुर प्रशासन की जमकर तारीफ की।
प्रशासन ने घर भेजने के लिए ट्रेन का इंतजाम किया।
इस हादसे में 27 लोगों की मौत हो गई है, और उनके शव फ्लाइट से महाराष्ट्र भेज दिए गए हैं। घायलों का इलाज काठमांडो में चल रहा है। शाम को सुरक्षित बचे 48 लोगों को प्रशासन की निगरानी में सोनौली से गोरखपुर क्लब लाया गया।
रात 9:30 बजे तक सभी लोग यहीं रुके, फिर खाना खाने के बाद वे लोकमान्य तिलक ट्रेन से भुसावल के लिए रवाना हो गए। प्रशासन ने उनके लिए एसी ट्रेन के 48 डिब्बे पहले से बुक किए थे। इस दौरान शहर के जनप्रतिनिधियों ने भी उनका हाल-चाल लिया।