खिरका में भागवत कथा के अंतिम दिन उमड़ पड़ा महिला-पुरुष श्रद्धालुओं का रेला, कतारबद्ध होकर किया नैमिष पीठाधीश्वर कथा व्यास आचार्य अवध किशोर शास्त्री जी का पूजन

एफएनएन ब्यूरो, बरेली। नैमिॆष पीठाधीश्वर आचार्य अवध किशोर शास्त्री ने बताया कि भागवत कथा मोक्षदायनी है। पापियों का भी यह उद्धार कर देती है। आचार्य श्री विकास क्षेत्र फतेहगंज पश्चिमी के गांव खिरका जगतपुर में साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन रविवार को सायंकालीन सत्र में संगीतमय प्रवचन की अमृतमयी रसवर्षा कर रहे थे।

आचार्य अवध किशोर शास्त्री जी ने बताया कि साधक को यदि सद्गुरु मिल जाए तो उसे सद् मार्ग भी मिल ही जाता है। मन को यदि नित्य साधा जाय तो एक दिन वह आपके नियंत्रण में हो ही जाएगा।

आचार्यश्री ने कथा पंडाल में उपस्थित महिला-पुरुष श्रद्धालुओं को रुक्मिणी हरण प्रसंग सुनाते हुए समझाया कि अपने भक्तों की पुकार पर भगवान बिना देर किए दौड़े चले आते हैं। एक बार कोई सच्चे मन से प्रभु को रुक्मिणी, प्रह्लाद, शबरी जैसे भक्तों की तरह पुकारकर तो देखे।

बताया-रुक्मिणी की मां ने बेटी के कल्याण की कामना से द्वारिकाधीश को रो-रोकर पुकारा-
हमारी नइया को खेने वाले जो खे चलो तो हम भी जानें।
यहीं से केशव जो तुम हमारे बने चलो तो हम भी जानें।
और, रुक्मिणी ने भी ब्राह्मण के हाथों द्वारिकापुरी में श्रीकृष्ण को भाव भरा संदेश भेजकर वरण करने की कातर प्रार्थना की-
यदि नाथ न आए तो याद रहे प्रभु की प्रभुता पर धूरि फिरेगी।
और, विलंब होने पर रुक्मिणी प्रभु को याद कर-करके बिलखती हैं-
आए न श्याम सुध लेन हमारी।

समझाया-बहू के सामने उसके मायके वालों की बुराई कभी भी नहीं करनी चाहिए। बलदाऊ भइया के समझाने पर श्रीकृष्ण ने रुक्मि के केश काटकर उसे प्राण दान दे दिया और रुक्मिणी को द्वारिकापुरी में लाकर उनसे विधि विधान से विवाह किया।

स्यमंतक मणि, शत्राजित, जामवंत से घोर युद्ध और जामवंती, सत्यभामा से विवाह के प्रेरक प्रसंग सुनाते हुए आचार्य अवध किशोर शास्त्री ने श्रद्धालुओं को चेताया कि सच्चे भक्त भगवान को कभी पकड़ते नहीं हैं बल्कि भगवान ही उन्हें पकड़ लेते हैं और जब भगवान एक बार अपने भक्त को पकड़ लें तो कभी उसे छोड़ते नहीं हैं। सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए समझाया-
भाई का अंश हलाहल है जो इसे चुराकर खाता है,
ऐसा भाई जीवन भर में कभी न सुख को पाता है।

बताया-जो भक्त भागवत कथा प्रेम से सुनता है, वह भी परीक्षित की तरह निश्चित ही जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त होकर भगवान के बैकुंठ धाम और मोक्ष का अधिकारी हो जाता है।

भागवत कथा के अंतिम दिन मुख्य यजमान मूलचंद गंगवार ने सपत्नीक व्यास पूजन किया। बाद में सभी श्रद्धालुओं ने भी बारी-बारी से कथा व्यास जी का पूजन किया। भागवत कथा में दीनानाथ गंगवार, वीरेंद्र पाल सिंह फौजी, पूर्व प्रधान वीर सिंह, कृष्ण पाल, गणेश पथिक, नत्थूलाल गंगवार, भागवती शर्मा, कुसुमलता गंगवार, निर्वेश कुमारी समेत सैकड़ों महिला-पुरुष श्रद्धालुओं की भी सक्रिय सहभागिता रही। कल सोमवार को सप्ताह भर से नित्य प्रात:काल हो रहे यज्ञ की पूर्णाहुति के बाद विशाल भंडारे के साथ इस अनुष्ठान के समापन का कार्यक्रम है।

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