उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में ज़मीन खरीद से जुड़े एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें 15 करोड़ की जमीन को 54 करोड़ रुपये में खरीदा गया। जैसे ही मामला सामने आया, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कड़ा एक्शन लिया और दो IAS, एक PCS समेत कुल 12 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। अब इस पूरे घोटाले की जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है।
बिना ज़रूरत और नियमों के की गई भारी-भरकम खरीद
मामला हरिद्वार नगर निगम से जुड़ा है, जहां निगम ने एक बेकार और अनुपयोगी जमीन को बेहद महंगे दाम पर खरीद लिया। बताया गया कि न तो जमीन की कोई तत्काल जरूरत थी, न ही खरीद प्रक्रिया में तय नियमों का पालन किया गया। इससे सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ।
सरकार ने दिखाई तत्परता, जांच रिपोर्ट मिलते ही कार्रवाई
जांच में घोटाले की पुष्टि होने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए। कार्मिक विभाग ने एक साथ सात वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया, जबकि पहले ही पांच अफसरों पर कार्रवाई हो चुकी थी।
निलंबित किए गए बड़े अधिकारी
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कर्मेन्द्र सिंह – जिलाधिकारी व तत्कालीन प्रशासक, नगर निगम हरिद्वार
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वरुण चौधरी – तत्कालीन नगर आयुक्त
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अजयवीर सिंह – तत्कालीन एसडीएम
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निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी
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विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक
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राजेश कुमार – कानूनगो
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कमलदास – मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार
पहले भी हुई थी कार्रवाई
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रविंद्र कुमार दयाल – प्रभारी सहायक नगर आयुक्त (सेवा समाप्त)
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आनंद सिंह मिश्रवाण – अधिशासी अभियंता (निलंबित)
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लक्ष्मीकांत भट्ट – कर एवं राजस्व अधीक्षक (निलंबित)
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दिनेश चंद्र कांडपाल – अवर अभियंता (निलंबित)
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वेदपाल – संपत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त)
मुख्यमंत्री का स्पष्ट संदेश: भ्रष्टाचार नहीं होगा बर्दाश्त
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों पर चल रही है। सरकारी धन के दुरुपयोग को किसी भी स्तर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। जो भी इस घोटाले में दोषी पाया जाएगा, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
विजिलेंस जांच शुरू, और भी खुलासों की संभावना
अब यह मामला पूरी तरह से विजिलेंस की निगरानी में है। रिपोर्ट के आधार पर आगे और भी अधिकारियों की भूमिका की जांच होगी। राज्य सरकार इस घोटाले की तह तक जाकर दोषियों को सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।