जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जहां देशभर में शोक और गुस्से का माहौल है, वहीं बीजेपी के राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने एक ऐसा बयान दे दिया है, जिसने विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि यदि पर्यटकों ने आतंकियों के खिलाफ मुकाबला किया होता, तो इतनी मौतें नहीं होतीं। उन्होंने यह भी कहा कि पीड़ितों की पत्नियों में वीरता और साहस की भावना नहीं थी।

जांगड़ा का बयान

रामचंद्र जांगड़ा ने एक कार्यक्रम में कहा,
“अगर हमारे नागरिकों को आत्मरक्षा की सही ट्रेनिंग मिलती, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देना चाहते हैं, तो सिर्फ तीन आतंकवादी 26 लोगों को नहीं मार सकते थे। पर्यटक हाथ जोड़कर खड़े रहे, जबकि उन्हें अपने पास जो भी था, उससे आत्मरक्षा करनी चाहिए थी।”

उन्होंने आगे कहा कि अगर लोग मिलकर डट जाते, तो कुछ लोगों की जान जरूर बचाई जा सकती थी।

“वीरता की भावना नहीं दिखी”

जांगड़ा ने पीड़ित महिलाओं को लेकर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा,
“जिन महिलाओं ने अपने पतियों को खोया, उनमें रानी अहिल्याबाई जैसी वीरता होती तो वे चुपचाप खड़ी न रहतीं। अगर उनमें जज्बा होता, तो वे भी आतंकियों का सामना करतीं, चाहे शहीद ही क्यों न हो जातीं।”

2014 के बाद आया ‘शौर्य’ का दौर

उन्होंने यह भी कहा कि देश में वीरता और संघर्ष का इतिहास पढ़ाने की परंपरा 2014 में पीएम मोदी के आने के बाद शुरू हुई है। उन्होंने महिलाओं से आह्वान किया कि वे ऐतिहासिक वीरांगनाओं से प्रेरणा लें और आत्मबल से परिपूर्ण बनें।

22 अप्रैल को हुआ था हमला

गौरतलब है कि 22 अप्रैल को बैसरन वैली (पहलगाम) में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला कर 26 लोगों की जान ले ली थी। इस घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया था। अब इस हमले पर सांसद के बयान ने नए सियासी विवाद को जन्म दे दिया है।

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