बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। बुधवार, 6 अगस्त को संसद में भी यह मुद्दा जोरदार तरीके से उठा। AIMIM अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने SIR प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि इसके जरिए “वोट चोरी” की जा रही है।
ओवैसी ने दावा किया कि बिहार में मतदाता सूची से अब तक करीब 56 लाख लोगों के नाम हटा दिए गए हैं, और ये नाम खासतौर पर उन इलाकों से हटाए गए हैं जहां मुस्लिम आबादी अधिक है। उन्होंने कहा कि रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में गए गरीब लोगों को नागरिकता साबित करने के लिए मनमाने दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। इससे कमजोर वर्ग के लोगों को उनके वोटिंग अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
ओवैसी ने चेतावनी दी कि यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है और इससे उन लोगों की आवाज दबेगी जिनके पास वोट देने के अलावा कोई और ताकत नहीं है।
इसी मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी संसद में आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि SIR प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हैं और विपक्ष इस पर शांतिपूर्वक चर्चा की मांग कर रहा है। खड़गे ने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि मतदाताओं के नाम क्यों हटाए जा रहे हैं और इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता क्यों नहीं है।
खड़गे ने यह भी कहा कि अगर संसद में पूरी बहस हो, तो विपक्ष सुझाव दे सकता है और ऐसे मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा की जा सकती है जो इस प्रक्रिया के कारण अपना मताधिकार खो रहे हैं।