एफएनएन, भारत की तरफ से पाकिस्तान में छिपे आतंकियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पूरी दुनिया में हलचल मच गई। इस तनाव के दौरान पाकिस्तान को तुर्किये और अजरबैजान जैसे देशों ने खुले तौर पर समर्थन किया। इतना ही नहीं भारतीय सेना द्वारा गिराए गए ड्रोन और हथियार भी तुर्किये और चीन ने ही पाकिस्तान मुहैया कराए थे।
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर भारत में तुर्किये और अजरबैजान के खिलाफ भारी नाराजगी देखी गई है। 7 मई के बाद से सोशल मीडिया पर लगातार बॉयकॉट तुर्किये और बॉयकॉट अजरबैजान जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। सोशल मीडिया में चलने वाले इस अभियान में आम लोगों के साथ-साथ अब पर्यटन सेवाओं से जुड़ी भारतीय कंपनियां भी शामिल हो गई हैं।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर 7 मई के बाद ऐसे क्या घटनाक्रम हुए हैं, जिनसे चीन के अलावा तुर्किये और अजरबैजान भी आतंक के पनाहगाह पाकिस्तान के साथ खड़े नजर आए हैं? इन देशों के भारत के साथ कैसे रिश्ते रहे हैं? अगर भारतीय नागरिकों की तरफ से इन देशों का पर्यटन और व्यापार के क्षेत्र में बहिष्कार किया जाता है तो इसका असर क्या होगा?
किस घटनाक्रम के बाद भारत में उठी तुर्किये-अजरबैजान के खिलाफ आवाज?
1. तुर्किये: भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद तुर्किये और अजरबैजान ने पाकिस्तान के प्रति समर्थन जाहिर किया था। तुर्किये के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि बिना किसी उकसावे के भारत की आक्रामकता से पाकिस्तान की स्वायत्तता का उल्लंघन हुआ है और इसमें कई मासूम नागरिक मारे गए हैं। तुर्किये ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर से पूरी तरह युद्ध का जोखिम पैदा हो गया है। इतना ही नहीं तुर्किये ने दोनों पक्षों से एकपक्षीय कार्रवाई से पीछे हटने की अपील की थी। भारतीय सेना ने बाद में खुलासा किया कि पाकिस्तान की तरफ से जो ड्रोन्स हमले के लिए सीमापार से भेजे गए, उनमें से कई तुर्किये में बने थे।