रामबाबू मित्तल, मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां दो पुलिस दारोगा अवैध वसूली के आरोप में ग्रामीणों के हाथों बंधक बन गए। यह घटना शनिवार रात को हुई, जब दारोगा सतेंद्र और प्रशिक्षु शिवम ने गोविंदपुरी गांव में एक घर में घुसकर अवैध तरीके से पैसे की मांग की। इस घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय में आक्रोश पैदा किया, बल्कि यह भी दर्शाया कि पुलिस प्रशासन के कुछ सदस्य अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं।
घटना का विवरण
घटना की शुरुआत तब हुई जब दारोगा सतेंद्र और शिवम ने गांव में एक घर में घुसकर पटाखों की बिक्री के नाम पर पैसे की मांग की। यह आरोप लगाया गया कि दारोगा ने ग्रामीणों को धमकाते हुए उनसे पैसे वसूलने का प्रयास किया। ग्रामीणों का कहना है कि दारोगा पिछले कुछ समय से गांव में अवैध वसूली करने का प्रयास कर रहे थे। जब ग्रामीणों ने इसका विरोध किया, तो दारोगा ने एक बुजुर्ग महिला को थप्पड़ मारा, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई।
ग्रामीणों का प्रतिरोध
इस घटना के बाद, गांव के लोग एकत्रित हो गए और दारोगा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने लगे। ग्रामीणों ने दारोगा को घेर लिया और उनकी गिरफ्तारी की मांग की। जब दारोगा ने ग्रामीणों को धमकी दी कि वह उन्हें जेल भेज देंगे, तो उनका आक्रोश और बढ़ गया। ग्रामीणों ने दारोगा को बंधक बना लिया और उनकी पिटाई शुरू कर दी। यह स्थिति तब तक बनी रही जब तक कि पुलिस के अन्य जवानों ने मौके पर पहुंचकर दारोगा को मुक्त नहीं कराया।
पुलिस का हस्तक्षेप
घटना की सूचना मिलने के बाद, सीओ सदर देहात ने तीन थानों की पुलिस फोर्स के साथ गांव में पहुंचकर स्थिति को संभालने का प्रयास किया। सीओ ने ग्रामीणों से बातचीत की और उन्हें समझाने की कोशिश की कि दारोगा के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी और दारोगा के खिलाफ जांच की जाएगी।
दारोगा की गिरफ्तारी
करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद, सीओ ने ग्रामीणों को शांत किया और दोनों दारोगा को बंधनमुक्त कराया। हालांकि, दारोगा सतेंद्र और शिवम मेडिकल कराने से पहले ही थाने से फरार हो गए, जिससे उनकी मंशा पर सवाल उठने लगे। यह घटना न केवल पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि ग्रामीणों में कानून के प्रति कितना आक्रोश बढ़ रहा है।
दारोगा सतेंद्र पर पूर्व में लगे आरोप
दारोगा सतेंद्र पर पहले भी कई गंभीर आरोप लगे थे। उनकी तैनाती किठौर थाने में थी, जहां उन पर अवैध वसूली के कई मामलों में संलिप्त होने का आरोप था। ग्रामीणों का कहना है कि सतेंद्र ने कई बार स्थानीय व्यापारियों को परेशान किया और उनसे पैसे वसूले। इसके अलावा, उन पर अवैध हथियारों के कारोबार में शामिल होने का भी आरोप था। यह आरोप यह संकेत करते हैं कि दारोगा अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे थे और स्थानीय लोगों के लिए खतरा बन गए थे।
ग्रामीणों की भावनाएँ
ग्रामीणों का कहना है कि वे पुलिस पर भरोसा नहीं कर सकते हैं। जब पुलिस खुद अवैध गतिविधियों में संलिप्त हो, तो आम जनता का उन पर विश्वास कैसे बना रह सकता है? इस घटना ने यह साबित कर दिया कि पुलिस प्रशासन में कुछ लोग अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि वे अब और सहन नहीं करेंगे और यदि पुलिस ने उचित कार्रवाई नहीं की, तो वे और भी बड़े विरोध प्रदर्शन करेंगे।
समाज में बढ़ता आक्रोश
यह घटना केवल एक स्थानीय समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज में बढ़ते आक्रोश का प्रतीक है। जब पुलिस बल खुद अवैध गतिविधियों में संलिप्त हो, तो यह समाज में कानून और व्यवस्था के प्रति विश्वास को कमजोर करता है। ग्रामीणों का यह आक्रोश इस बात का संकेत है कि वे अब अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं।