अंबेडकरनगर के सम्मनपुर थाने में मार्च 2021 में हुई जियाउद्दीन की मौत का मामला एक बार फिर से चर्चा में है। मृतक के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने हिरासत में उसे बुरी तरह से पीटा, जिससे उसकी मृत्यु हो गई।

इस मामले की जांच पर सीजेएम (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) अदालत ने पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को खारिज करते हुए दोबारा जांच के आदेश दिए हैं। अदालत का यह कदम परिजनों के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उठाया गया है। इससे पीड़ित परिवार को न्याय की उम्मीद जगी है और इस मामले में निष्पक्ष जांच की आवश्यकता पर फिर से जोर दिया गया है।
अंबेडकरनगर में 37 वर्षीय जियाउद्दीन की पुलिस हिरासत में हुई मौत का मामला एक बार फिर अदालत में सुर्खियों में आ गया है। मार्च 2021 में इस घटना के बाद, मृतक के परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसे हिरासत में बुरी तरह पीटा, जिसके चलते उसकी मौत हो गई। इस मामले में एक सब-इंस्पेक्टर समेत आठ पुलिसकर्मियों पर अपहरण और हत्या का आरोप लगाया गया था।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत ने पुलिस की फाइनल जांच रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे अधूरी और दोषपूर्ण बताते हुए फिर से जांच करने का आदेश दिया है। अदालत के इस फैसले से पीड़ित परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद है और इस घटना के दोषियों पर सख्त कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जियाउद्दीन के शरीर पर चोट के निशान पाए जाने के बाद अदालत ने पुलिस की उस अंतिम रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिसमें यह दावा किया गया था कि जियाउद्दीन की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी।
अदालत ने रिपोर्ट को अधूरी और दोषपूर्ण बताते हुए नए सिरे से जांच का आदेश दिया। अंबेडकरनगर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) कौस्तुभ ने कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए डीएसपी देवेंद्र मौर्य को मामले का नया जांच अधिकारी नियुक्त किया है। इस घटनाक्रम से मामले में निष्पक्ष जांच की संभावनाएं बढ़ गई हैं, और पीड़ित परिवार को उम्मीद है कि दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।
कोर्ट ने पुलिस जांच पर उठाए सवाल, फाइनल रिपोर्ट को किया खारिज