केंद्र सरकार के आदेश के बाद उत्तराखंड खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने राज्य में पशुओं के लिए उपयोग की जाने वाली 34 दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 23 सितंबर को जारी पत्र के बाद लिया गया।
एफडीए के अपर आयुक्त और राज्य के ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि पशुओं को दी जाने वाली रोगाणुरोधी दवाओं और उनके फॉर्मूलेशन्स के आयात, निर्माण, बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी गई है।
प्रतिबंधित दवाओं में 15 एंटीबायोटिक, 18 एंटीवायरल, और 1 संक्रमणरोधी (Anti-protozoal) दवा शामिल है।
प्रतिबंधित एंटीबायोटिक दवाएं:
यूरिडोपेनिसिलिन, सेफ्टोबिप्रोल, सेफ्टारोलाइन, साइडरोफोर सेफलोस्पोरिन, कार्बापेनेम्स, पेनेम्स, मोनोबैक्टम्स, ग्लाइकोपेप्टाइड्स, लिपोपेप्टाइड्स, ऑक्साजोलिडिनोन्स, फिडैक्सोमिसिन, प्लाजोमिसिन, ग्लाइसिलसाइक्लिन्स, एरावासाइक्लिन और ओमाडासाइक्लिन।
प्रतिबंधित एंटीवायरल दवाएं:
अमैंटाडाइन, बालोक्साविर मार्बॉक्सिल, सेल्गोसिविर, फेविपिराविर, गैलिडेसिविर, लैक्टिमिडोमाइसिन, लैनिनामिवीर, मेथिसाजोन/मेटिसाजोन, मोलनुपिराविर, निटाजोक्सानाइड, ओसेल्टामिवीर, पेरामिविर, रिबाविरिन, रिमांटाडाइन, टिजोक्सानाइड, ट्रायजाविरिन, उमिफेनोविर और जानामिवीर।
इसके अलावा संक्रमण के उपचार में दी जाने वाली एंटी प्रोटोजॉल दवा निटाजोक्सानाइड पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
अधिकारियों के अनुसार, यह कदम पशुओं और मनुष्यों में बढ़ते एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस को रोकने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से उठाया गया है।