शिखर धवन का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास एक बड़ी खबर है। “गब्बर” के नाम से मशहूर धवन ने अपनी बल्लेबाज़ी और मैच फिनिशिंग की कला से क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीता है। उन्होंने 34 टेस्ट, 167 वनडे, और 68 टी-20 मैच खेले और भारतीय क्रिकेट को कई यादगार पल दिए।

धवन के संन्यास का मतलब है कि अब हम उन्हें भारतीय टीम की ब्लू जर्सी में नहीं देख पाएंगे, लेकिन उनके द्वारा किए गए योगदान और यादगार पलों की छाप क्रिकेट की दुनिया में हमेशा रहेगी। उनका क्रिकेट करियर प्रेरणा देने वाला रहा है और उनकी उपलब्धियां उन्हें हमेशा क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में जीवित रखेंगी।

शिखर धवन का अंतरराष्ट्रीय और डोमेस्टिक क्रिकेट से संन्यास का निर्णय उनके लंबे और सफल करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ है। 24 अगस्त की सुबह उन्होंने एक भावुक वीडियो पोस्ट करके अपने संन्यास की घोषणा की।

“गब्बर” के नाम से मशहूर इस बाएं हाथ के बल्लेबाज ने भारतीय क्रिकेट में कई यादगार लम्हे दिए हैं। 2010 में वनडे क्रिकेट से करियर की शुरुआत करने के बाद उन्होंने टी-20 और टेस्ट क्रिकेट में भी अपनी छाप छोड़ी। उनकी बल्लेबाज़ी ने भारतीय क्रिकेट को कई महत्वपूर्ण मैचों में जीत दिलाई और उनकी उपस्थिति मैदान पर हमेशा प्रेरणादायक रही।

धवन लंबे समय से टीम से बाहर चल रहे थे, और शुभमन गिल जैसे युवा ओपनर्स की मौजूदगी ने उनकी टीम में वापसी को और कठिन बना दिया था। आईपीएल में उनकी भूमिका के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है, लेकिन उनकी क्रिकेट यात्रा का यह अंतिम अध्याय भी उनके लिए और उनके फैंस के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है।

धवन के संन्यास के साथ, भारतीय क्रिकेट एक युग के अंत की ओर बढ़ रहा है, लेकिन उनकी उपलब्धियां और योगदान क्रिकेट इतिहास में हमेशा अमर रहेंगे।

अब नहीं गरजेगा गब्बर का बल्ला

शिखर धवन का बल्ला अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में गरजता नहीं सुना जाएगा, लेकिन उनकी क्रिकेट यात्रा और योगदान हमेशा याद रहेगा। धवन और रोहित शर्मा की जोड़ी भारतीय क्रिकेट के लिए कई सालों तक शानदार रही। दोनों ने मिलकर कई मैचों में तूफानी शुरुआत दी और टीम को मजबूती प्रदान की।

धवन ने अपने करियर की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया दौरे पर की थी, जहां उन्होंने पदार्पण टेस्ट में सबसे तेज शतक लगाकर सभी को चौंका दिया। दिल्ली के इस आक्रामक बल्लेबाज की बल्लेबाज़ी शैली और गेंदबाजों को नकारने की क्षमता ने उन्हें विशेष बना दिया। उनकी घुमावदार मूंछें और कैच लपकने के बाद जांघों पर हाथ मारने का सिग्नेचर स्टाइल क्रिकेट प्रेमियों के लिए हमेशा यादगार रहेगा।

धवन का योगदान भारतीय क्रिकेट के इतिहास में हमेशा उल्लेखनीय रहेगा। उनकी आक्रामक बल्लेबाज़ी, यादगार शतक, और मैदान पर उनकी शैली ने उन्हें क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में एक खास जगह दिलाई।

सहवाग-गंभीर की खराब फॉर्म का फायदा

शिखर धवन की क्रिकेट यात्रा का यह हिस्सा उनकी दृढ़ता और संघर्ष को दर्शाता है। 2003-04 के अंडर-19 विश्व कप में उनकी शानदार बल्लेबाज़ी ने उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का सम्मान दिलाया, जहां उन्होंने तीन शतकों के साथ 505 रन बनाए और औसत 84.16 रखी। इस प्रदर्शन ने उन्हें क्रिकेट की दुनिया में एक चमकदार भविष्य का संकेत दिया।

हालांकि, रणजी ट्रॉफी और प्रारंभिक आईपीएल में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। इसके अलावा, पांच वनडे मैचों में भी निराशाजनक प्रदर्शन और टेस्ट क्रिकेट में सलामी बल्लेबाजों के अच्छे प्रदर्शन के चलते ऐसा लग रहा था कि धवन को घरेलू क्रिकेट और टी-20 लीग तक सीमित कर दिया जाएगा।

फिर भी, क्रिकेट में किस्मत कभी भी पलट सकती है। सहवाग और गंभीर के फॉर्म में अचानक गिरावट के बाद, 27 वर्षीय धवन को भारतीय टीम में मौका मिला। उन्होंने उस मौके का भरपूर फायदा उठाया और लगातार अच्छा प्रदर्शन कर खुद को टीम में मजबूती से स्थापित किया। धवन ने अपने खेल और मानसिक दृढ़ता के साथ खुद को साबित किया, और भारतीय क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में अपनी जगह बनाई।

शिखर धवन का आईपीएल करियर भी काफी शानदार और ऐतिहासिक रहा है। आईपीएल में बैक-टू-बैक शतक लगाने का रिकॉर्ड उनके नाम पर है, जो उनकी बल्लेबाज़ी क्षमता और निरंतरता को दर्शाता है। इसके अलावा, धवन आईपीएल में सबसे ज्यादा चौके लगाने का रिकॉर्ड भी अपने नाम रखते हैं, जो उनकी आक्रामक और प्रभावी बल्लेबाज़ी का प्रमाण है।

धवन ने कुल रनों के मामले में विराट कोहली के बाद दूसरा स्थान हासिल किया है, जो इस बात का सबूत है कि उन्होंने आईपीएल के दौरान कितनी स्थिरता और गुणवत्ता के साथ प्रदर्शन किया।

2016 में उन्होंने सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) के साथ आईपीएल ट्रॉफी जीती, जो उनके करियर का एक महत्वपूर्ण और यादगार पल था। उनकी इस उपलब्धि ने उन्हें आईपीएल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया और टीम के जीत में उनके योगदान को भी उजागर किया।

 

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