दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण एक बार फिर से अपने चरम पर पहुंच गया है। हाल ही में, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ने 500 का आंकड़ा पार कर लिया है, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 65 गुना अधिक है। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक खतरनाक है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र की जीवनशैली और पर्यावरण को भी प्रभावित कर रही है।

 

AQI का चिंताजनक स्तर

  • AQI 500 के पार: दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में AQI के स्तर ने 500 को पार कर लिया है, जो कि “गंभीर” श्रेणी में आता है। यह स्तर केवल स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अत्यधिक हानिकारक है।
  • WHO मानक: WHO के अनुसार, AQI का सुरक्षित स्तर 0 से 50 के बीच होता है। 51 से 100 के बीच का स्तर “सामान्य” माना जाता है, जबकि 301 से 500 तक का स्तर “गंभीर” श्रेणी में आता है। 500 का स्तर एक आपातकालीन स्थिति को दर्शाता है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • स्वास्थ्य समस्याएं: इस अत्यधिक प्रदूषण के कारण लोगों में विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और अन्य सांस की बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
  • संवेदनशील समूह: बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार व्यक्तियों के लिए यह स्थिति विशेष रूप से खतरनाक है। ये लोग प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • दीर्घकालिक प्रभाव: लंबे समय तक इस स्तर के प्रदूषण में रहने से फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी, हृदय रोग, और अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

प्रदूषण के कारण

  • पराली जलाना: किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाएं इस प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक हैं। हर साल, अक्टूबर-नवंबर के दौरान, उत्तर भारत में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जो वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं।
  • वाहनों का धुआं: दिल्ली में वाहनों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। ट्रैफिक जाम और पुराने वाहनों के धुएं से वायु प्रदूषण में इजाफा हो रहा है।
  • औद्योगिक गतिविधियां: औद्योगिक उत्सर्जन भी वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है। कई उद्योगों से निकलने वाला धुआं और रासायनिक प्रदूषक वायु में मिलकर स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रहे हैं।
  • निर्माण कार्य: निर्माण कार्यों के कारण धूल और अन्य प्रदूषक हवा में मिल जाते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर और बढ़ जाता है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

  • आपातकालीन उपाय: सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई आपातकालीन उपायों की घोषणा की है। इसमें निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध, धूल नियंत्रण के लिए विशेष उपाय, और वाहनों की संख्या को सीमित करने के लिए योजनाएं शामिल हैं।
  • सफाई अभियान: दिल्ली सरकार ने विशेष सफाई अभियान शुरू किया है, जिसमें सड़कों और सार्वजनिक स्थानों की सफाई पर जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही, धूल को नियंत्रित करने के लिए पानी का छिड़काव भी किया जा रहा है।
  • पार्किंग और ट्रैफिक प्रबंधन: सरकार ने ट्रैफिक प्रबंधन के लिए नए नियम लागू किए हैं, ताकि वाहनों की संख्या को नियंत्रित किया जा सके।

नागरिकों की भूमिका

  • सावधानी बरतें: नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे बाहर जाने से बचें, खासकर जब AQI का स्तर खतरनाक हो। घर के अंदर रहना और वायु गुणवत्ता की स्थिति की निगरानी करना महत्वपूर्ण है।
  • मास्क का उपयोग: बाहर निकलते समय एन95 या अन्य उच्च गुणवत्ता वाले मास्क पहनने की सलाह दी गई है, ताकि सांस संबंधी समस्याओं से बचा जा सके।
  • स्वास्थ्य की देखभाल: यदि कोई व्यक्ति पहले से ही सांस की बीमारियों से ग्रसित है, तो उसे विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। नियमित रूप से डॉक्टर से संपर्क करना और दवाइयों का सेवन करना आवश्यक है

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