बरेली में भी कई दशकों तक कायम रहा है ‘खयालगोई’ का सुनहरा दौर, अब इतिहास बनी संगीत की यह विधा
वरिष्ठ उर्दू-हिंदी साहित्यकार-लेखक साहूकारा निवासी रणधीर प्रसाद गौड़ 'धीर' बताते हैं कि उनके पिता देवीप्रसाद गौड़ 'मस्त' भी प्रसिद्ध ख्यालगो थे। प्राचीन काल में सूफी-संतों ने ख़यालगोई की विधा को…