स्वप्निल कुसाले के पिता सुरेश कुसाले की निराशा एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर करती है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार द्वारा अपने बेटे को दिए गए दो करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि की तुलना हरियाणा द्वारा खिलाड़ियों को दी जाने वाली राशि से की है

जो कि अधिक है। स्वप्निल, जिन्होंने अगस्त में 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन स्पर्धा में कांस्य पदक जीता, को उनके पिता की तरफ से 5 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि और पुणे के बालेवाड़ी में छत्रपति शिवाजी महाराज स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के पास एक फ्लैट की मांग की गई है।

यह मामला दर्शाता है कि कैसे विभिन्न राज्य अपने खिलाड़ियों को समर्थन और पुरस्कार राशि में भिन्नता दिखाते हैं। इस प्रकार की बातें खिलाड़ियों और उनके परिवारों के लिए महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि ये न केवल उनके मेहनत का सम्मान करती हैं, बल्कि भविष्य में और अधिक खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने का भी कार्य करती हैं।

सुरेश कुसाले का यह बयान वास्तव में महाराष्ट्र सरकार की खेल नीति पर सवाल उठाता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से हरियाणा सरकार द्वारा पदक विजेताओं को दी जाने वाली पुरस्कार राशि की तुलना की और यह बताया कि हरियाणा स्वर्ण, रजत, और कांस्य पदक विजेताओं को कितनी अधिक राशि देता है।

सुरेश कुसाले ने यह भी उल्लेख किया कि स्वप्निल कुसाले 72 साल में महाराष्ट्र के दूसरे व्यक्तिगत ओलंपिक पदक विजेता हैं, जो इस सम्मान के और भी योग्य बनाते हैं। उनके अनुसार, महाराष्ट्र सरकार को इस उपलब्धि के लिए स्वप्निल को अधिक पुरस्कार राशि देने पर विचार करना चाहिए था, ताकि उनकी मेहनत और सफलता का उचित सम्मान हो सके।

इस प्रकार के बयान खेलों के प्रति राज्य सरकारों की नीतियों की समीक्षा की आवश्यकता को उजागर करते हैं, ताकि खिलाड़ियों को उनकी मेहनत और उपलब्धियों के लिए उचित मान्यता और पुरस्कार मिल सके।

सुरेश कुसाले का यह बयान महाराष्ट्र और हरियाणा की खेल नीतियों के बीच का अंतर दर्शाता है। उन्होंने सही तरीके से यह कहा कि हरियाणा, जो कि एक छोटा राज्य है, अपने पदक विजेता खिलाड़ियों को अधिक पुरस्कार राशि प्रदान करता है। इसके विपरीत, महाराष्ट्र की सरकार ने पदक विजेताओं के लिए निर्धारित राशि को लेकर एक नई नीति बनाई है, जो उनके अनुसार उचित नहीं है।

सुरेश ने बताया कि हरियाणा में स्वर्ण पदक विजेताओं को 5 करोड़ रुपये, रजत पदक विजेताओं को 3 करोड़ रुपये और कांस्य पदक विजेताओं को 2 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि दी जाती है। जबकि महाराष्ट्र की पुरस्कार राशि का मानदंड स्पष्ट रूप से कम है।

उनका यह सवाल कि जब महाराष्ट्र के केवल दो खिलाड़ियों ने इतने वर्षों में व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीते हैं, तो सरकार ने इस तरह का मानदंड क्यों बनाया, इस बात को उजागर करता है कि खिलाड़ियों की उपलब्धियों के लिए उचित सम्मान और समर्थन होना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि राज्य सरकारें अपने खिलाड़ियों को उनके प्रदर्शन के अनुसार प्रोत्साहित करें, ताकि भविष्य में अधिक युवा इस क्षेत्र में प्रवेश कर सकें और राष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त कर सकें।

सुरेश कुसाले के बयान में समाज में वर्ग विभाजन और खेलों के प्रति सम्मान की कमी को उजागर किया गया है। उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या स्वप्निल कुसाले की विनम्र पृष्ठभूमि के कारण उन्हें कम पुरस्कार राशि दी गई है। यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है, जो यह दर्शाता है कि अक्सर सामाजिक स्थिति के आधार पर पुरस्कारों और सम्मान में भिन्नता होती है।

सुरेश का यह कहना कि अगर स्वप्निल किसी विधायक या मंत्री का बेटा होता, तो क्या इनाम की राशि वही रहती, यह एक गंभीर मुद्दे पर प्रकाश डालता है। यह सवाल खेलों में समानता और न्याय का प्रतीक है, जिसमें सभी खिलाड़ियों को उनकी प्रतिभा और मेहनत के आधार पर समान सम्मान मिलना चाहिए।

इसके साथ ही, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि खेल परिसर में 50 मीटर तीन पोजिशन राइफल शूटिंग एरिना का नाम स्वप्निल के नाम पर रखा जाना चाहिए। यह न केवल उनके प्रति सम्मान प्रकट करता है, बल्कि भविष्य के खिलाड़ियों को प्रेरित भी करता है कि उनकी मेहनत और उपलब्धियों की सराहना की जाएगी। इस तरह के प्रस्ताव खेल संस्कृति को बढ़ावा देते हैं और खिलाड़ियों को उनके क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं।

रेश कुसाले ने स्वप्निल के लिए एक व्यापक समर्थन की मांग की है, जिसमें बालेवाड़ी स्पोर्ट्स स्टेडियम के पास एक फ्लैट और पांच करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि शामिल है। उनका यह सुझाव स्वप्निल की सुविधा के लिए है, ताकि वह नियमित रूप से अभ्यास कर सकें और अपनी प्रतिभा को और विकसित कर सकें।

सुरेश का यह भी कहना है कि स्वप्निल का नाम 50 मीटर थ्री-पोजिशन राइफल शूटिंग एरिना को दिया जाना चाहिए, जो न केवल उनके प्रति सम्मान है, बल्कि यह अन्य खिलाड़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

स्वप्निल की उपलब्धियों के बाद, उन्हें उनके नियोक्ता, सेंट्रल रेलवे द्वारा पदोन्नत किया गया और विशेष ड्यूटी पर एक अधिकारी नियुक्त किया गया। यह उनकी मेहनत और सफलता को मान्यता देने का एक अच्छा कदम है।

हालांकि, महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेलों जैसे प्रमुख खेल स्पर्धाओं में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि को दोगुना करने की घोषणा की है, लेकिन यह अभी भी आवश्यक है कि विशेष रूप से उच्च स्तर पर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को उनके योगदान के अनुरूप उचित पुरस्कार और सम्मान दिया जाए।

इस प्रकार के कदम न केवल खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि समाज में खेलों के प्रति सम्मान और मान्यता को भी बढ़ावा देते हैं।

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