अल्मोड़ा। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में कई बार ग्रामीणों की जान पर खतरा मंडराता है, लेकिन कभी-कभी साहस और सूझबूझ जीवन बचाने में निर्णायक साबित होती है। ऐसी ही एक घटना गुरुवार रात अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया विकासखंड के भटकोट गांव में हुई, जहां 24 वर्षीय गीता देवी ने अपने पिता 61 वर्षीय चंदन राम को गुलदार के हमले से बचाया।

मिली जानकारी के अनुसार, चंदन राम अपने परिवार के साथ बैराठ क्षेत्र के रतनपुर में किराये के मकान में रह रहे थे। रात करीब एक बजे मकान में बंधे कुत्तों के तेज भौंकने से सजग होकर चंदन राम कमरे से बाहर आए, तभी छत के रास्ते गुलदार मकान में घुस आया और उन्हें जबड़े में दबोचकर सीढ़ियों से नीचे खींचने लगा।
चीख-पुकार सुनकर गीता देवी तुरंत बाहर आई और बिना हिचकिचाहट के गुलदार पर झपट पड़ी। अपने साहस और तेजी से किए गए वार से उसने गुलदार को डराया, जिससे वह पिता को छोड़कर जंगल की ओर भाग गया।
हमले में चंदन राम के सिर, गर्दन और चेहरे पर गंभीर चोटें आईं। उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चौखुटिया में प्राथमिक उपचार के बाद 35 टांके लगे। गंभीर स्थिति के कारण उन्हें हायर सेंटर बेस अस्पताल अल्मोड़ा रेफर किया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
घटना की सूचना मिलने पर वन विभाग भी सक्रिय हुआ। वन क्षेत्राधिकारी गोपाल दत्त जोशी और रेंज अधिकारी विक्रम सिंह कैड़ा अस्पताल पहुंचे और पीड़ित को 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की।
गीता देवी की बहादुरी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई है। स्थानीय लोग उसे “पहाड़ की शेरनी” कहकर उसकी हिम्मत, सूझबूझ और साहस की सराहना कर रहे हैं। यह घटना फिर से साबित करती है कि संकट की घड़ी में पहाड़ की बेटियां परिवार की सुरक्षा के लिए किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं।
