सतवत जगवानी, जिन्होंने IIT JEE में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल किया था और IIT बॉम्बे में दाखिला लिया, ने दो साल बाद बी टेक का कोर्स छोड़ दिया। IIT JEE एक बहुत ही कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षा है, और इसमें सर्वोच्च रैंक प्राप्त करना किसी भी छात्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

सतवत का IIT बॉम्बे में दाखिला लेना और फिर दो साल बाद कोर्स छोड़ देना कई लोगों के लिए चौंकाने वाला हो सकता है। ऐसे निर्णय व्यक्तिगत कारणों, पेशेवर लक्ष्यों, या शिक्षा की दिशा में बदलाव के आधार पर किए जा सकते हैं।

आईआईटी जेईई (जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन) को भारत और विश्व के सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। हर साल लाखों छात्र इस परीक्षा में भाग लेकर आईआईटी में दाखिला पाने की कोशिश करते हैं। लेकिन इस परीक्षा को पास कर आईआईटी में दाखिला लेना बहुत कम लोगों के नसीब में होता है, और कई छात्र इस परीक्षा को बार-बार देते हैं।

आज हम आपको सतवत जग्गी की कहानी बताएंगे, जिन्होंने इस कठिन परीक्षा में पहली रैंक हासिल की थी:

सतवत जग्गी का सफर: सतवत ने आईआईटी जेईई में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल की और इसके साथ ही आईआईटी बॉम्बे में बी टेक के कोर्स के लिए एडमिशन लिया। यह किसी भी छात्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि होती है और IIT बॉम्बे जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में प्रवेश पाना एक शानदार उपलब्धि है।

कोर्स छोड़ने का निर्णय: हालांकि, सतवत ने दो साल बाद आईआईटी बॉम्बे को छोड़ने का निर्णय लिया। इस निर्णय के पीछे के कारण व्यक्तिगत हो सकते हैं, जैसे करियर के नए अवसर, शिक्षा की दिशा में बदलाव, या व्यक्तिगत प्राथमिकताएं।

यह कहानी यह दर्शाती है कि हालांकि आईआईटी जेईई में शीर्ष रैंक हासिल करना और प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला लेना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, लेकिन अंततः जीवन की यात्रा और करियर के निर्णय व्यक्तिगत होते हैं।

सतवत के निर्णय ने यह साबित किया कि सफलता की परिभाषा और पथ सभी के लिए अलग हो सकते हैं, और किसी भी छात्र का करियर या शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण उसकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

आईआईटी छोड़ने के उनके फैसले से हर कोई हैरान था 

सतवत जगवानी ने 2015 में आईआईटी-जेईई एडवांस्ड परीक्षा में प्रथम रैंक हासिल की थी, जिसके चलते उन्हें प्रतिष्ठित आईआईटी बॉम्बे में दाखिला मिला था। हालांकि, उनके आईआईटी बॉम्बे छोड़ने के निर्णय ने कई लोगों को चौंका दिया। यह निर्णय इस बात का संकेत हो सकता है कि उनके व्यक्तिगत और करियर के लक्ष्य अलग थे।

हालांकि, सतवत जगवानी इस तरह के पहले छात्र नहीं हैं जिन्होंने आईआईटी बॉम्बे छोड़कर किसी अन्य प्रमुख संस्थान में दाखिला लिया है। इसके पूर्व भी कई आईआईटी-जेईई टॉपर्स ने आईआईटी बॉम्बे को छोड़कर अमेरिका के प्रसिद्ध संस्थान जैसे एमआईटी (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) में दाखिला लिया है।

उदाहरण
आर्यभट्ट: एक अन्य प्रसिद्ध छात्र, जो आईआईटी के टॉपर्स में रहे हैं, ने भी विदेश में उच्च शिक्षा के लिए भारतीय संस्थानों को छोड़ा है।
किसी नामी विद्यार्थी का नाम: ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ छात्रों ने अपनी शिक्षा की दिशा को नई राह देने के लिए विदेश के प्रमुख संस्थानों को चुना।

इस प्रकार की कहानियां यह दर्शाती हैं कि छात्रों के लिए विभिन्न शैक्षणिक और करियर अवसरों का पता लगाने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए व्यक्तिगत निर्णय लेना महत्वपूर्ण होता है। प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश और वहाँ की पढ़ाई का अनुभव महत्वपूर्ण होता है, लेकिन कभी-कभी छात्रों के करियर और शैक्षणिक मार्गदर्शन में बदलाव उनके दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक हो सकता है।

 

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