गाजियाबाद में एक अनोखी घटना
गाजियाबाद के बेव सिटी थाना क्षेत्र के डासना में, दुर्गा अष्टमी के दिन एक दिल को छू लेने वाला मामला सामने आया है। इस दिन एक नन्ही सी नवजात बच्ची को किसी ने झाड़ियों के बीच छोड़ दिया था। बच्ची के रोने की आवाज सुनकर लोगों का ध्यान उस ओर गया, और जब उन्होंने झाड़ियों में देखा, तो वहां एक लावारिस नवजात बच्ची पड़ी हुई थी। इस घटना ने सभी को हैरान कर दिया।
पुलिस की तत्परता
स्थानीय पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर बच्ची को सुरक्षित किया। बच्ची को डासना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएससी) ले जाया गया, जहां उसकी जांच और देखभाल की गई। पुलिस ने बच्ची के परिवार की तलाश भी शुरू की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली।
चौकी प्रभारी का निर्णय
इस घटना के बाद, डासना चौकी के प्रभारी पुष्पेंद्र चौधरी ने बच्ची को गोद लेने का फैसला किया। उन्होंने अपनी पत्नी राशि से इस बारे में बात की, और राशि ने भी इस बात पर सहमति जताई। पुष्पेंद्र का मानना था कि नवरात्र जैसे पावन अवसर पर बच्ची को घर लाना बेहद शुभ होगा।
कानूनी प्रक्रिया की शुरुआत
पुष्पेंद्र और उनकी पत्नी ने बच्ची को अपने परिवार का हिस्सा बनाने के लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। चौकी प्रभारी पुष्पेंद्र का कहना है कि यह प्रक्रिया काफी जटिल होती है, लेकिन वे पूरी कोशिश करेंगे कि सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर बच्ची को गोद ले सकें।
परिवार की खुशी
पुष्पेंद्र और राशि की शादी 2018 में हुई थी, लेकिन अभी तक उनके कोई संतान नहीं थी। इस नन्ही बच्ची को अपनाकर वे बेहद खुश हैं और इसे माता दुर्गा का आशीर्वाद मानते हैं।
पुलिस की भूमिका
इस मामले में इंस्पेक्टर थाना बेव सिटी अंकित चौहान ने बताया कि बच्ची लावारिस हालत में पुलिस को मिली है। चौकी प्रभारी पुष्पेंद्र और उनका परिवार बच्ची को गोद लेना चाहते हैं, जिसके लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू की गई है। एसीपी वेब सिटी लिपि नगायच ने भी पुष्टि की है कि फिलहाल बच्ची चौकी प्रभारी पुष्पेंद्र सिंह और उनके परिवार के पास है।
निष्कर्ष
यह घटना न केवल पुलिस की मानवीयता को दर्शाती है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी देती है। एक पुलिस अधिकारी द्वारा गोद ली गई इस बच्ची को एक नया जीवन और परिवार मिलेगा, जो कि एक आशा की किरण है। इस तरह की घटनाएं हमें यह याद दिलाती हैं कि कभी-कभी समाज में अच्छाई भी होती है, और हमें ऐसे मामलों में एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि खाकी सिर्फ कानून का पालन करने के लिए नहीं होती, बल्कि समाज में मानवीयता और प्यार फैलाने के लिए भी होती है।