आपके द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, दिव्‍य ज्योति कॉलेज ऑफ फार्मेसी के रजिस्‍ट्रार अमरीश कुमार के खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है।

एसीपी मोदीनगर ज्ञान प्रकाश राय ने यह पुष्टि की है कि आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। डीजे कॉलेज पहले भी विवादों में रहा है, और अब यह नया मामला इस स्थिति को और जटिल बना सकता है। अगर आपको इस विषय में और जानकारी चाहिए या किसी विशेष पहलू पर चर्चा करनी है, तो बताइए!

गाजियाबाद के मोदीनगर के निवाड़ी थाना क्षेत्र में स्थित दिव्य ज्योति कॉलेज ऑफ फार्मेसी में छात्रों से 20 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। आरोप है कि रजिस्ट्रार ने लगभग 30 छात्रों से फीस के नाम पर पैसे लेकर उन्हें फर्जी नो ड्यूज प्रमाणपत्र प्रदान किए। इस मामले में संस्थान के निदेशक की शिकायत पर केस दर्ज कर लिया गया है और निवाड़ी पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है।

यह मामला गंभीर है, क्योंकि इसमें छात्रों की मेहनत की कमाई के साथ धोखाधड़ी की गई है। अब देखने वाली बात होगी कि जांच में क्या निष्कर्ष निकलते हैं और दोषियों को कितनी कड़ी सजा मिलती है।

निवाड़ी रोड पर स्थित दिव्य ज्योति कॉलेज ऑफ फार्मेसी में हाल ही में एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। संस्थान के निदेशक डा. सुनील कुमार के अनुसार, रजिस्ट्रार अमरीश कुमार, जो फरवरी 2020 से मेरठ के बहसूमा निवासी के रूप में इस पद पर तैनात थे, ने छात्रों से फीस के नाम पर बड़ी राशि वसूली लेकिन कोई रसीद नहीं दी। यह घोटाला पिछले तीन वर्षों से चल रहा था।

रजिस्ट्रार ने छात्रों से लगभग 20 लाख रुपये वसूल किए और फर्जी नो ड्यूज प्रमाणपत्र भी जारी किए। यह स्थिति छात्रों और उनके परिवारों के लिए बहुत ही चिंताजनक है, खासकर जब उन्हें अपने पैसे की कोई रसीद भी नहीं दी गई।

अब इस मामले की छानबीन के लिए निवाड़ी पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है, और आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। यह जांच और भी गंभीर हो जाती है क्योंकि इसमें लंबे समय से चल रही धोखाधड़ी की शिकायत की जा रही है।

आरोपी रजिस्ट्रार अमरीश कुमार ने केवल छात्रों से फीस के नाम पर पैसे हड़पने तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उसने फर्जी साइन करके सरकारी टैबलेट वितरण में भी हेराफेरी की। जब इस मुद्दे की जांच की गई, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

जांच के दौरान पता चला कि करीब 30 छात्रों से विभिन्न मात्रा में पैसे हड़पे गए थे। निम्नलिखित छात्रों से वसूली गई राशि का विवरण है:

– मोहम्मद आसिफ से 5,000 रुपये
– जमिल से 15,000 रुपये
– रीना देवी से 40,000 रुपये
– मोहम्मद सुहैल से 35,000 रुपये
– नदीम से 30,000 रुपये
– कुमकुम से 40,000 रुपये
– कुलदीप से 50,000 रुपये
– प्रशांत से 40,000 रुपये
– अमित से 1.32 लाख रुपये

इस प्रकार, कुल मिलाकर लाखों रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। यह स्थिति न केवल छात्रों के लिए आर्थिक रूप से हानिकारक है बल्कि विश्वासघात की भावना भी पैदा करती है। अब पुलिस और जांच एजेंसियां इस मामले की गहराई से छानबीन कर रही हैं और दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

आरोपी रजिस्ट्रार अमरीश कुमार के फरार हो जाने के बाद, डॉ. सुनील कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए डीसीपी ग्रामीण से शिकायत की। डीसीपी ने तुरंत रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए और मामले की जांच शुरू कर दी।

इस मामले की सूचना मिलने पर शिक्षकों में भी बेचैनी फैल गई है, क्योंकि यह धोखाधड़ी की घटना संस्थान की प्रतिष्ठा को प्रभावित कर रही है। एसीपी मोदीनगर ज्ञान प्रकाश राय ने पुष्टि की है कि अमरीश कुमार के खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है और आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

दिव्य ज्योति कॉलेज ऑफ फार्मेसी पहले भी विवादों में रहा है। इससे पहले कभी सरकारी जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगा था, तो कभी सफाई कर्मी और छात्र के आत्महत्या के मामलों में संस्थान चर्चा में रहा है। ऐसे में हालिया धोखाधड़ी का मामला संस्थान की समस्याओं की लंबी सूची में एक और जोड़ है।

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